Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ प्रकीर्णकानि / / 5 मीतंदुलवैचारिकप्रकीर्णकम् ] [ 37 विणीया पगइउवसंता पगइपयणु-कोहमाणमायालोमा मिउमद्दवसंपन्ना श्रल्लीणा भइया विणीया अप्पिछा असन्निहिसंचया अचंडा असिमसिकिसि-वाणिजविवजिया विडिमंतरनिवासिणो इच्छियकामकामिणो गेहागाररुक्ख-कयनिलया पुढविपुष्फ-फलाहारा ते णं मणुयगणा पराणत्ता // सू. 13 // श्रासी य समणाउसो ! पुधि मणुयाणं छविहे संघयणे, तंनहा-वजरिसहनारायसंघयणे 1 रिसहनारायसंघयणे 2 नारायसंघयणे 3 श्रद्धनारायसंघरणे 4 कीलियासंघयणे 5 छेवट्ठसंघयणे 6, संपइ खलु पाउसो ! मणुयाणं छेवट्ठसंघयणे वट्टइ / बासी य ग्राउसो ! पुबि. मणुयाणं छविहे संगणे, तंजहा-समचउरंसे 1 नग्गोहपरिमंडले 2 सादि 3 खुज्जे 4 वामणे 5 हुँडे 6, संपइ खलु पाउसो ! मणुयाणं हुँडे संठाणे वट्टइ // सू० 14 // संवयणं संठाणं उच्चत्तं पाउयं च मणुयाणं / अणुसमयं परिहायइ श्रोसप्पिणिकालदोसेणं // 50 // कोहमयमायलोभा, उरसन्नं वड्डए य मणुयाणं / कूडतुला कूडमाणा तेणऽणुमाणेण सव्वंति // 51 // विसमा अज तुलायो विसमाणि य जणवएसु माणाणि। विसमा रायकुलाई, तेण उ विसमाई वासाइं // 52 // विसमेसु य वासेसु हुँति असाराई श्रोसहिबलाई / योसहिदुबल्लेण य, ग्राउं परिहायइ नराणं // 53 // एवं परिहायमाणे लोए चंदुब्ब कालपक्खंमि / जे धम्मिया मणूमा सुजीवियं जीवियं तेसिं // 54 // पाउसो ! से जहा नामए केइ पुरिसे गहाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सिरसिराहाए कठेमालकडे पाविद्धमणिसुवराणे यहअसु. महग्य वत्थपरिहिए चंदणोकिराण-गायसरीरे सरससुरहिगंध-गोसीस-चंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावन्नग-विलेवणे कप्पियहारद्धहार-तिसरय-पालंबपलंबमाणे कडिसुत्तय-सुक्यमोहे पिणिद्धगेविज्जे अंगुलिजग-ललियंगय-ललियकयाभरणे नाणामणि-कणगरयण-कडग-तुडियथंभियभुए अहिअरूवे सस्सिरीए कुंडलुजोवियाणणे मउडदित्तसिरए हारुच्छयसुझ्य-रइयवच्छे पालंबपलंबमाण-सुक
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