Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ 2.] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / अष्टमो विभागः अमाइ भत्तीए // 30 // निश्रदत्वमपुवजिणिंद-भवणजिणबिंबवरपइट्ठासु / विश्ररइ पसत्यपुत्थय-सुतित्थतित्थयरपूत्रासु // 31 // जइ सोऽवि सव्वविरई. कयाणुरायो विसुद्धमइकायो। छिन्नसयणाणुरायो विसयविसायो विरत्तो श्र॥ 32 // संथारयपव्वजं पडिव्वजइ सोऽवि निश्रम निरवज्ज / सव्व. विरइप्पहाणं सामाइअचरित्तमारुहइ // 33 // अह सो सामाइअधरो पडिवन्न. महव्वो अ जो साहू / देसविरो अ चरिमं पञ्चक्खामित्ति निच्छइयो // 34 // गुरुगुणगुरुणो गुरुणो पयपंकय नमित्रमत्थयो भणइ / भयवं ! भत्तपरिन्नं तुम्हाणुमयं पवज्जामि // 35 // श्राराहणाइ खेमं तस्सेव य अप्पणो अ गणिवसहो / दिव्वेण निमित्तेणं पडिलेहइ इहरहा दोसा // 36 // तत्तो भवचरिमं सो पञ्चक्खाइत्ति तिविहमाहारं / उक्कोसिश्राणि दवाणि तस्स सव्वाणि दसिज्जा // 37 // पासित्तु ताई कोई तीरं पत्तस्सिमेहिं किं मम ? देसं च कोइ भुच्चा संवेगगयो विचिंतेइ // 38 // किं चत्तं(चेत्थ)नोवभुत्तं मे, परिणामासुई सुई। दिट्ठसारो सुहं भाइ, चोत्रणेसाऽवसीयो // 31 // उधरमलसोहणट्ठा समाहिपाणं मणुनमेसोऽवि / महुरं पज्जेनबो मंदं च विरेयणं खमत्रो // 40 // एलतयनागकेसर तमालपत्तं ससकर दुद्धं / पाऊण कढिपसीअल-समाहिपाणं तयो पच्छा // 41 // महूरविरेपणमेसो कायव्वो फोफलाइदव्वेहिं / निधावियो छ अग्गी समाहिमेसो सुहं लहइ // 42 // जावजीवं तिविहं याहारं वोसिरइ इहं खबगो। निजवगो पायरियो संघस्स निवेत्रणं कुणइ // 43 // पाराहणपचइयं खमगस्स य निरुवसग्गपञ्चइग्रं / तो उस्सग्गो संघेण होइ सब्वेण कायब्वो // 44 // पञ्चक्खाविंति तो तं ते खमयं चउबिहाहारं / संघसमुदायमज्झे चिइवंदणपुव्वयं विहिणा // 45 // अहवा समाहिहेउं सागारं चयइ तिविहमाहारं / तो पाणयंपि पच्छा वोसिरियव्वं जहाकालं ॥४॥तो सोनमंतसिरसंघडतकर कमलसेहरो विहिणा।खामेइसव्वसंघसंवेगं संजोमाणो॥४७॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152