Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
-
प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१२ उ० ४ ० १ परमाणुपुद्गलनिरूपणम् ३३ भवति, 'अहवा तिन्नि दुप्परसिया बंधा भवंति, अथवा त्रयो द्विपदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति 'चउहा कज्जमाणे एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवई' षट्पदेशिकः स्कन्धश्चतुर्धा क्रियमाणः एकतः-एकभागे त्रयः परमाणुपुद्गला भवन्ति, एकतः अपरभागे त्रिप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगय भो दो दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकत:एकभागे द्वौ परमाणुयुद्गलौ भवतः एकत:-अपरभागे द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'पंचहा कज्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवा' षट्पदेशिकः स्कन्धः पञ्चधा क्रियमाणः एकत:-एकभागे चत्गरः यभाग में विप्रदेशिक स्कन्ध और तीसरे भाग में त्रिप्रदेशिक स्कंध होता है। 'अहवा-तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति' अथवा-दो प्रदेशिक स्कंध तीन होते हैं । 'चउहा कज्जमाणे एगयो तिनि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ' षट् प्रदेशिक स्कंध के जप चार खण्ड किये जाते हैं-तय एक खंड में तीन पुद्गल परमाणु होते हैं और द्वितीय खण्ड में त्रिप्रदेशिक एक स्कंध होता है-अर्थात् एक एक पुद्गलपरमाणुरूप विभाग इसके होते हैं और चौथा विभाग त्रिप्रदेशिक एक स्कन्ध रूप होता है। 'अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगपओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति' एक तरफदो पुद्गलपरमाणुरूप दो विभाग होते हैं और एक तरफ दो विप्रदेशिक स्कन्धरूप विभाग होते हैं। 'पंचहा कज्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दुप्पए. દેશિક રકંધ રૂપ બીજો ભાગ અને ત્રિપ્રદેશિક સકંધ રૂપ ત્રીજો ભાગ, આ પ્રકારના ત્રણ વિભાગોમાં તે છ પ્રદેશિક સ્કંધ વિભક્ત થઈ જાય છે. " अहवा-तिन्नि दुप्पएसिया खंधा भवंति" अथवा र दिशि २४ । ३२
a विमत / Mय छे “च उहा काजमाणे एगय भो तिमि परमाणु पोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे भव” छ प्रशि २४ घना यारे यार વિભાગ કરવામાં આવે છે, ત્યારે એક એક પગલપરમાણુ રૂપ ત્રણ વિભાગે અને ત્રિપદેશિક સ ધ રૂપ એક વિભાગમાં તે વિભક્ત થઈ જાય છે. " अहवा-एगयओ दो परमाणु पोग्गला भवंति, एगयओ दुप्पएसिया खंबा भवंति" અથવા એક એક પગલપરમાણુ રૂપ બે વિભાગ થાય છે અને દ્વિપદેશિક બે સ્કંધ રૂપ બીજા બે વિભાગ થાય છે. આ પ્રકારના ચાર વિભાગો પણ
सपी श छे. “पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दुप्पएसिए खंधे भवइ" ७ प्रशि: २७°धने न्यारे पाय विभागामा
भ० ५
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦