________________ 88 1 -6-5-3 (209) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन लीलाधरात्मज रमेशचंद्र हरिया के द्वारा संपादित सटीक आचारांग सूत्र के भावानुवाद स्वरूप श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिंदी टीका-ग्रंथ के अध्ययनसे विश्वके सभी जीव पंचाचारकी दिव्य सुवासको प्राप्त करके. परमपदकी पात्रता को प्राप्त करें... यही मंगल भावना के साथ... "शिवमस्तु सर्वजगतः" वीर निर्वाण सं. 2528. राजेन्द्र सं. 96. // विक्रम सं. 2058. आचारांग सूत्र के प्रथम श्रुतस्कंध में जो नव अध्ययन कहे गये है उनमें से अभी वर्तमानकाल में सातवा अध्ययन उपलब्ध नहीं हो रहा है अर्थात् व्युच्छिन्न हुआ है ऐसा स्थविर आचार्यों का निर्देश है... अत: छठे अध्ययन के बाद अब आठवे अध्ययन की ससूत्र टीका का राजेन्द्रसुबोधनी आहोरी हिन्दी टीका यहां क्रमशः प्रस्तुत है...