Book Title: Acharang Sutram Part 03
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
View full book text ________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 335 248 नामंठवणविमुक्खो दव्वे खित्ते य काल-भावे य। एसो उ विमुक्खस्स निक्खेवो छव्विहो होइ। 249 दुविहो भावविमुक्खो देसविमुक्खो य सव्वमुक्खो य। देसविमुक्खा साहू सव्वविमुक्खा भवे सिद्धा / / 250 कम्मयदव्वेहिं समं संजोगो होइ जो उ जीवस्स। सो बंधो नायव्वो तस्स विओगो भवे मुक्खो। 251 जीवस्स अत्तजणिएहिं चेव कम्मेहिं पुव्वबद्धस्स। सव्वविवेगो जो तेण तस्स अह इत्तिओ मुक्खो। 252 भत्तपरिन्ना इंगिणि पायवगमणं च होइ नायव्वं / जो मरइ. चरिममरणं भावविमुक्खं वियाणाहि / / 253 सपरिक्कमे य अपरिक्कमए य वाघाय आणुपुव्वीए। सुत्तत्थजाणएण समाहिमरणं तु कायव्वं / / 254 सपरक्कममाएसो जह मरणं होइ अज्जवइराणं / पायवगमणं च तहा एवं सपरक्कमं मरणं / / 255 अपरक्कममाएसो जह मरणं होइ उदहिनामाणं / पाओवगमेऽवि तहा एयं अपरक्कम मरणं / / 256 वाघाइयमाएसो अवरद्धो हुज अन्नतरेण जं। तोसलि महिसीइ हओ एयं वाघाइयं मरणं / / 257 आनुपब्विगमाएसो पव्वजासुत्तअत्थकरणं च। वासोजओ(य)निन्तो मुक्को तिविहस्स नीयस्स / /
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