Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 3
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्वार्थचिन्तामणिः-
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..... तस्य बाह्यनिमिचोपदर्शनायेदमुच्यते ।
तदित्यादिवचः सूत्रकारेणान्यमतच्छिदे ॥१॥
उस मतिज्ञानके बहिरंग निमित्तोंका प्रदर्शन करानेके लिये यह सूत्र कहा जाता है अर्थात्अन्यवादियोंकरके ज्ञानके जो निमित्तकारण मन और इन्द्रियां मानी है, वे बहिरंग निमित्त हैं, ऐसा हम अभीष्ट करते हैं। तथा अन्यमतोंके व्यवच्छेद करनेके लिये सूत्रकार द्वारा तत् इन्द्रिय अनिन्द्रिय आदि वचन कहे गये हैं । अर्थात्-अन्यमती विद्वानोंने कदाचित् योगीका प्रत्यक्ष भी इन्द्रियजन्य माना है । घट आदिके मतिज्ञानोंमें आलोक, सन्निकर्ष, इन्द्रियवृत्ति, आदिको भी निमित्त कारण इष्ट किया है। किन्तु इस सूत्रमें अवधारण कर उन मतोंका निराकरण हो जाता है।
कस्य पुनस्तच्छब्देन परामर्शो यस्य बाह्यनिमित्तोपदर्शनार्थ तदित्यादि सूत्रमभिधीयत इति तावदाह ।
तत् यह सर्वनाम पद पूर्वमें जाने गये विषयका परामर्श करनेवाला माना गया है । तो फिर बताओ, यहां तत् शब्दकरके किस परोक्षपदार्थका परामर्श किया जाता है, जिसके कि बहिरंग निमित्त कारणोंको दिखलानेके लिये “ तदिन्द्रियानिन्द्रियनिमित्तम् " . यह सूत्र उमास्वामी महाराज करके कहा जाता है । इस प्रकार जिज्ञासा होनेपर तो श्रीविद्यानन्द स्वामी उत्तर कहते हैं।
तच्छद्वेन परामर्शोनांतरमिति ध्वनेः । वाच्यस्यैकस्य मत्यादिप्रकारस्याविशेषतः ॥२॥
पूर्वसूत्रमें कहे हुये अनर्थान्तर इस शद्वका तत् शब्दकरके परामर्श होता है। पूर्वसूत्रमें इतिका अर्थ प्रकार कहा गया है। अतः मतिः स्मृतिः आदि प्रकार स्वरूप एक ही वाच्य अर्थका सामान्यरूपसे परामर्श कर लिया गया है।
मतिज्ञानस्य सामर्थ्याल्लभ्यमानस्य वाक्यतः।।
तदेव तच विज्ञानं नान्यथानुपत्तितः ॥३॥ . किसीका कटाक्ष है कि ऊपरके सूत्रवाक्यकी सामर्थ्यसे प्राप्त करने योग्य मतिज्ञानका तत् शब्द करके परामर्श होना चाहिये । अर्थात्-मतिः स्मृतिः इस सूत्रमें मतिज्ञानके प्रकारोंका ही कण्ठोक कथन किया है। मतिज्ञानका नामनिर्देश नहीं है। फिर भी वाक्यकी सामर्थ्यसे मतिज्ञान ही प्रधान होकर तत् शब्दसे पकडा जा सकता है । अतः वही मतिज्ञानविशेष तत् है। वाचार्य कहते हैं कि यह तो नहीं कहना । क्योंकि अव्यवहित पूर्वमें उपात्त हो रहा अनर्थान्तर शब्द ही अन्यथानुपपत्ति होनेसे ग्राह्य है। 63