Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 3
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्वार्थश्लोकवार्तिके
विप्रतिपत्ति ( विवाद ) नहीं है । हमारे ग्रन्थोंमें इस प्रकार कथन किया है कि प्रत्यक्ष नहीं भी हो रहे पदार्थमें शद्वसे संकेतस्मरणद्वारा जो ज्ञान उत्पन्न होता है, आगमज्ञानको न्यारा प्रमाण माननेवाले विद्वान् उस ज्ञानको शाब्दबोध इस नामसे स्वीकार करते हैं । किन्तु वह शब्दात्मक श्रुत तो वेदोंके वाक्य हैं । वे तो मतिज्ञानको पूर्ववर्ती मानकर नहीं उत्पन हुये हैं। क्योंकि वे वेदके वाक्य नित्य हैं । इस प्रकार अपने मनोनुकूल मान रहे मीमांसकोंके प्रति आचार्य महाराज परमार्थ तत्त्वको धरते हुये कहते हैं।
शद्वात्मकं पुनर्येषां श्रुतमज्ञानपूर्वकं । नित्यं तेषां प्रमाणेन विरोधो बहुचोदितः ॥ १९ ॥
जिन मीमांसकोंके यहां शब्द आत्मक श्रुत पुनः ज्ञानपूर्वक नहीं माना जाकर नित्य माना गया है, उन याज्ञिकोंके यहां प्रमाणोंकरके विरोध आता है। इसको हम बहुत प्रकारसे पूर्व प्रकरणोंमें कह चुके हैं अथवा प्रमाणोंसे विरोध दोष आनेकी बहुत प्रेरणा कर चुके हैं । अब भी इतना सुन लो कि
प्रत्यक्षबाधनं तावदमिमीले पुरोहितं । इत्येवमादिशब्दस्य ज्ञानपूर्वत्ववेदनात् ॥२०॥
तिन प्रमाणों से पहिले प्रत्यक्षप्रमाण द्वारा तो बाधा यो उपस्थित हो जाती है कि " अग्निमीले ( ड ) पुरोहितं" इस प्रकारके अन्य भी वैदिक शब्दोंका ज्ञानपूर्वकपना जाना जा रहा है। अग्निकी या पुरोहितकी में स्तुति कर रहा हूं। इत्यादिक शब्दजन्यज्ञान तो शब्दका श्रावण प्रत्यक्षकर और उस अर्थके साथ शब्दका संकेत स्मरण कर पीछे ही आगमज्ञान होता हुआ जाना जा रहा है । अथवा " अग्निमीडे आदि शब्दों ( वैदिक ) की मी उत्पत्ति ज्ञानपूर्वक हो रही
प्रतीत है।
तयक्तेः ज्ञानपूर्वत्वं स्वयं संवेद्यते न तु।
शद्वस्येति न साधीयो व्यक्तेः शद्वात्मकत्वतः ॥ २१ ॥
यदि मीमांसक यों कहें कि शब्दोंकी अभिव्यक्ति करनेके लिए ही ज्ञान पूर्ववर्ती हो जाते हैं अथवा शब्दकी अभिव्यक्ति ही ज्ञानपूर्वक होती हुई, स्वयं जानी जा रही है, शब्दको ज्ञानपूर्वक पना नहीं है, शब्द तो नित्य हैं, आचार्य कहते हैं कि इस प्रकार मीमांसकोंका कहना अधिक अच्छा नहीं है। क्योंकि शब्दोंकी अभिव्यक्तिको भी तो शब्द आत्मकपना निश्चित है । घटकी अभिव्यक्ति घटस्वरूप ही पडेगी । अतः मतिज्ञानने शब्दकी अभिव्यक्तिकी मानो शब्दश्रुतको ही बनाया समझो।