Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 3
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्त्वार्थलोकवार्तिके
शान हो जाने चाहिये और तैसा होनेपर युगपत् ज्ञानके अनुत्पादकी अप्रसिद्धि हो जानेसे मनको साध्य करनेमें " युगपत् ज्ञानानुत्पत्ति " यह ज्ञापक हेतु नहीं हो सकेगी। ऐसी दशामें मला अतीन्द्रिय अनिन्द्रिय मनकी सिद्धि कैसी होगी ! भावार्थ-युगपज्ज्ञानानुत्पत्तिर्मनसो लिंग "। पांचों इन्द्रियोंसे पांचों ज्ञान हो जानेकी योग्यता होनेपर भी एक समयमें एक ही ज्ञान होता है, अनेक ज्ञान नहीं उपजते हैं । अतः सिद्ध है कि जिस इन्द्रियके साथ वह अणु मन संयुक्त होगा, उसी इन्द्रियसे ज्ञान कराया जायगा। शेष इन्द्रियां यों ही व्यर्थ बैठी रहेंगी। किन्तु अब तो वैशेषिकोंके मन्तब्य अनुसार ही पांचों ज्ञान हो जामे चाहिये।
मनोऽनधिष्ठिताश्चक्षुरस्मयो यदि कुर्वते । स्वार्थज्ञानं तदप्येतदूषणं दुरतिक्रमम् ॥ ३५॥
चौअनवी " संतोपि " इत्यादि वार्तिकसे लेकर अबतक इन्द्रियोंके ऊपर ममको अधिष्ठिति होकर ज्ञान करानेका विचार किया । अब वैशेषिक यदि यह पक्ष पकडे कि मम इन्द्रियसे अधिष्ठित नहीं हो रही ही चक्षुःकिरणें यदि अपने और पदार्थोके जानको उत्पन्न कर देती है, तो मी यही दूषण लागू रहेगा । इस दूषणका आतक्रमण करना दुःसाध्य है। अर्थात् मनका बाधिष्ठान नहीं माननेपर तो अधिक सुलभतासे युगपत् ( एकदम ) पांचों शान हो जाने चाहिये, जो कि किसी भी विद्वान्ने इष्ट नहीं किये हैं। " एकस्मिन द्वावुपयोगौ" । एक समयमें एक चेतनागुणकी दो पर्यायें यानी दर्शन, ज्ञान, या चाक्षुष, रासन प्रत्यक्ष आदिक कोई भी इनमेंसे दो नहीं हो सकती हैं। अतः चक्षुका अप्राप्यकारीपन सिद्ध नहीं हुआ।
ततोक्षिरश्मयो भित्वा काचादीनार्थभासिनः। तेषामभावतो भावेप्युक्तदोषानुषंगतः ॥ ६६ ॥ काचाद्यंतरितार्थानां ग्रहणं चक्षुषः स्थितम् ।
अप्राप्यकारितालिंगं परपक्षस्य बाधकम् ॥ ६७ ॥
तिस कारण यह निर्णीत हुआ कि चझुकी रश्मियां काच, आदिको तोड, फोड़कर भीतर घुस जाती है, और प्राप्त हुये अर्थका चाक्षुषप्रतिभास करा देती हैं। यह वैशेषिकोंका सिद्धान्त युक्त नहीं है। क्योंकि उन नेत्रोंकी रश्मियोंका अभाव है। यदि उनका सद्भाव भी मान लिया जायगा तो पूर्वमें कहे गये दोषोंका प्रसंग आवेगा । जब कि काच, स्फटिक, आदिकसे माछादित हो रहे अयोका चक्षुके द्वारा ग्रहण करना प्रमाणप्रतिष्ठित हो चुका है, जो कि