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संधि ३
न तो प्रवाल की लालिमा से शोभित तरुणी के अधर में, न भौंरों को नचानेवाले आम में, और न मधुर इक्षु-दंड में, न अमृत में, न कस्तूरी में, न चन्दन में और न चन्द्र में वह रस मिलता है, जो सुकवि रचित अलंकार युक्त काव्य में प्राप्त होता है। रामायण में राम सीता के वियोग के शोक से दुःख को प्राप्त हुए, महाभारत में पांडव और धृतराष्ट्र-पुत्र ( कौरव ) निरंतर गोत्र-कलह में प्रवृत्त हुए। सुद्धय कथा ढेड, चुगलखोर, चोर व राजा, इनकी घटनाओं से भरी पड़ी है। किन्तु ऐसा एक भी दोष इस सुदर्शनचरित्र में उत्पन्न नहीं हो पाया।
१. सेठानी का स्वप्न तरंगों युक्त गंगा नदी से जब तक सुभग गोप का जीव जन्मान्तर में नहीं पहुंचा, तभी शुभमति जिनमति सेठानी ने अपनी शैय्या पर सोते हुए निम्न स्वप्न देखे :-देवों के चित्त को हरण करनेवाला एक विशाल पर्वत, नया कल्पतरु, अमरेन्द्र का घर, विशाल समुद्र, शोभायुक्त तथा जाज्वल्यमान अग्नि। प्रातःकाल वह उत्तम शुद्धमति सती शीघ्र ही वहां गई, जहां उसका पति विराजमान था। उससे रात्रि में देखा हुआ अपना स्वप्न कहा। पति ने बतलाया-हे हंसगामिनि प्रिये, लो, शीघ्र उत्तम जिन मन्दिर को चलें। वहां निरंतर उपदेश करनेवाले भगवान मुनिराज तुम्हारे स्वप्न का पूर्ण फल प्रकट कर सकेंगे। तब वह रमणी अपने हार के मणियों को चलायमान करती हुई चल पड़ी। (इस छन्द को रमणी नामक जान कर कहा है)। वे दोनों पति-पत्नी जिनमन्दिर को गये और वहां मुनि को प्रणाम करके जिनदासी ने अपने रात्रि में देखे हुए गिरिवर, कल्पतरु, सुरगृह, जलधि और अग्नि-शिखा, इन स्वप्नों को कहा।
२. स्वप्न-फल सेठानी ने पूछा-इस स्वप्न के दर्शन का क्या फल होगा? हे परमेश्वर, जल्दी कहिये। यह सुनकर मुनिवर ने नये मेघ के समान स्वर से कहा-हे सुन्दरि, सुनो। तुम्हारे इस स्वप्न में देखे गये उत्तङ्ग और महाविशाल गिरिवर के फल से तुम्हारा पुत्र सुधीर होगा। पुष्परज की सुगंध से भौरों को आकृष्ट करनेवाले कल्पतरु के फल से तुम्हारा वह पुत्र त्यागी ( दानशील ) लक्ष्मीवान होगा। देवांगनाओं की क्रीड़ा से मनोहर उत्तम सुरगृह के फल से वह सुरों द्वारा वंदनीय होगा। जल की लहरों से आकाश का चुंबन करनेवाले रत्नाकर के फल से वह गुणसमूहों से युक्त व गम्भीर होगा। अतिसघन जड़त्व का विनाश करनेवाले हुताशन के स्वप्न से वह पापरूपी मल को निर्दहन करेगा। तुम्हारा वह पुत्र सुन्दर मनोहर, गुणमणिनिकेत, युवतीजनवल्लभ, मकरकेतु, अपने कुल रूपी मानसरोवर
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