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सुदर्शन-चरित ____५. कामशास्त्रानुसार स्त्रियों के लक्षण सुदर्शन के हृदय को मन्मथ के वाण से घायल हुआ जानकर उसका मित्र कपिल बोला युवती का अभिप्राय दुर्लक्ष्य होता है; उसे जानकर ही अनुराग करना चाहिए। यह बात कामी जनों के मन के हितार्थ रचे गये विटगुरूशास्त्र (वात्स्यायन मुनि विरचित कामशास्त्र) द्वारा जानी जा सकती है। जाति, अंश, सत्व, देश, प्रकृतिभाव और इंगित, इनसे विशेषित स्त्रियों के लक्षणों को जो जान लेता है, वही रमणी-रति के सुख को भोग सकता है। युवतियों की जाति चार प्रकार की कही गई है-भद्रा, मंदा, लता और हँसी। भद्रा सर्वांग सुरूपवती होती है। मंदा स्थूलांगी जानना चाहिये। लता लम्बी और लता के समान दुबली-पतली होती है; तथा हँसी देह से हृष्ट-पुष्ट और ठिगनी होती हैं। अंश की अपेक्षा स्त्रियां ऋषि, विद्याधर, यक्ष अथवा राक्षस, इन चार के कुल के अंश को निश्चयतः लिये हुए होती हैं। इनको अनुक्रम से अवश्य जान लीजिये। तापसी अर्थात् ऋषि-कन्याएँ अपने भाव में सीधी सादी होती हैं। खेचरी अर्थात् विद्याधर अंश वाली स्त्रियों को मदिरा-पान और कमलों की सुगंध भाती है। यक्षिणी स्त्रियों को धन इष्ट होता है, और निशाचरी स्त्रियों का लक्षण दुश्चरित्र है। ये निश्चय से चारों प्रकार के अंश कहे गये। अव आठ प्रकार के सत्वों को सुनिये। सारसी, मृगी, ऋष्टि, शशि, हंसी, महिषी, खरी और गुणभृष्ट मकरी। इनमें सारसी आलिंगन-प्रिय होती है। वह अपने प्रिय का संग नहीं छोड़ती। वह सरल स्वभावी और स्नेह से क्रीड़ा करनेवाली होती है। अपने प्रिय के विरह में वह बहुत दुःखी होती है,
और खीम-खीझ कर मरती है। मृगी प्रियतम का संयोग, बान्धवों का सम्मान तथा संगीत चाहती है। ऋष्टि अपना स्थान नहीं छोड़ती। दीन और दुःख-बिहीन होती है, किन्तु बोलती कठोरता से है। शशि निर्लज्ज और दूसरों के दोषों को देखने वाली होती है, आँखें मींचकर रखती है व भ्रमणशील होती है। हंसी कमल-सरोवरों की क्रीड़ा-प्रिय होती है। महिषी अत्यन्त क्रोधशील कही गई है। खरी जब हँसती है तो जोर के कहकहे लगाती है, तथा चपत व हाथ पैर की मार सह लेती है। मकरी दृढ़ता से आलिंगन करती है, मांसलोलुपी व साहसी होती है; वह रोकी नहीं जा सकती। उनमें और भी दोष होते हैं जिन्हें कौन जान व कह सकता है ? ( यह पादाकुलक छन्द है)। हे मित्र, अब देश के अनुसार स्त्रियों के लक्षणों को सुनिये। मालवा की स्त्री सब गुणों से सम्पन्न होती है । बनारसी स्त्री क्रीड़ागृहों में, पर्वत, नदी व सरोवरों में क्रीड़ा करना पसन्द करती है।
६. देश-देश की स्त्रियाँ कैसी होती हैं आबू की निवासिनी स्त्री धन लेकर व दिन निश्चित करके प्रेम करती है। सैन्धवी अर्थात् सिन्धु देश की स्त्री आसक्त और गीत-प्रिय होती है, तथा प्रेमी को