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सुदर्शन-चरित
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उस युवती से रमण मत कीजिये ; उसे त्यागिये । ( यह आनन्द छन्द है ) । हस्ती के समान प्रचंडभुजशाली वणिक्पुत्र सुदर्शन के स्नेह से युक्त वह द्विजवर कपिल ( उससे ) कुछ छुपाकर नहीं रखना चाहता था; अतः वह संक्षेप में और भी स्त्री-लक्षण कहने लगा ।
१३. सौभाग्यशाली स्त्रियों के लक्षण
जिसकी जंघा, ऊरु व स्तनाग्र प्रशस्त और वृत्ताकार हों, हाथ, अंगुली, नख ओर नेत्र दीर्घ हों, नासिका सुन्दर सुवर्ण-वर्ण हो और भाल ऊँचा हो, वह बाला सब स्त्रियों में श्रेष्ठ होती है । जिसकी जंघा और ऊरु-युगल काक के समान कुरूप हों, व जिसकी काक जैसी दृष्टि, काक जैसा शब्द, तथा काक जैसी पैरों की अंगुलियां हों, उसकी आयु दीर्घ नहीं होगी, ऐसा जानिये। जिसकी वाणी सुन्दर बांसुरी, वीणा व कलहंस के समान मधुर हो, नाभि और स्तन सुन्दर गोलाकार हों, हाथ सुन्दर हों, गति मातंग के समान लीलायुक्त हो, जो भोली हो व श्यामवर्ण हो, वह बालिका पुत्रादि व लक्ष्मी का निधान होती है । जिसके मुख, नख, होंठ, अधर, हाथ व पैर सभी लाल कमल की कान्तिवाले हों, नाक ऊँची हो और दृष्टि हथिनी जैसी हो, उस बालिका के निश्चय ही सोभाग्य होता है। जो स्त्री अपने बायें हाथ में मृणाल, मत्स्य, पुष्पमाला, शैल, ध्वजा, पद्म, गिरि, व गोपुर के चिन्हों को धारण करती है, वह सुख पाती है, और अपने घर में चिरकाल तक आनन्द करती है ।
१४. स्त्रियों के शुभ और अशुभ लक्षण
जो स्त्री ऊर्ध्वरेखा तथा चक्र, अंकुश व कुंडल की रेखाओं से विभूषित है, अर्द्धचन्द्र के समान जिसका भाल है व जिसके नख सुन्दर कान्तिवान हैं, तथा जिसके दाँत चिकने मोतियों के समान हैं. वह गुणमंजरी चक्रवर्ती की प्रिया होती है । जो तीतरी के समान शब्दालाप करती है, परेवा के समान नर-भोगिनी है, जिसकी भौंहें मिली हुई हों, वह स्त्री कुल को कलंक लगानेवाली और छूछी होती हैं, ऐसा विद्वानों ने कहा है । जिसकी नासिका मोटी और चिबड़ी हो वा जो पैर से लंजी हो, वह स्त्री अल्पधनवती होती है । तथा जिसकी गति, शब्द और दृष्टि कौवे के समान हो वह कन्या दुःख का भाजन होती है । ( यह त्रिभंगी नामक छंद है ) । जिस स्त्री के चरण कछुवे के समान ऊँचे हों, अंगुलियां विषम हों, ओंठ गधी के समान लम्बे हों, जो खोसला ( बौनी) हो, जिसके सिर के केश रूखे और ऊपर को उठे रहनेवाले हों, आंखें चंचल हों, हाथ, जंघा और ऊरु मांसल हों, जो गमन में उतावली हो, व जिसके सर्वांग में रोमराशि उठ रही हो, वह स्त्री स्पष्टरूप से अपने पुत्र और पति के वियोग के दुःख से आच्छादित होती है। जिसके मुख पर मूँछे हों, कटि, उर और नाभि में बाल हों, जिसका स्पर्श कठोर हो, और अंग