Book Title: Sudansan Chariu
Author(s): Nayanandi Muni, Hiralal Jain
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa

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Page 368
________________ वउ -- ववा नामक कररण ( ज्योतिषीय) ३.३.७ वंसत्थु - वंशस्थ छन्द ७.१ १२ वश्व - ब्रजहिं (बहु० ) ४२.६ वजर - (दे ) वच् “इ ३८. १२ ५. ३१२ वरि कथित वजरी - कथिता विहारु - ( दे ) बड़ा विहार वड्डम - (दे ) बड़ाई, श्लाघा मूर्ख - (दे ) मूक, वरणरक्खस - वनराक्षस वढ - वयंसि वयस्या वरसक्कय -- वर ( सुन्दर ) + संस्कृत वरिया - वरियाग, ज्योतिषीय योग रसरण - (दे ) हाहाकार ध्वनि करना हि (बहु० ) वलइल्लउ - वलयाकृतः, वलयाकार वेष्टित वलग्ग - श्रारूढ वसंतचच्चर - वसन्तचत्वर छन्द वहाइय-वाहिता ( स्त्री० वहा वाल्ल - (दे ) पुतला वाल्ल - (दे ) पुतला ) वाल्लिय - व्याकुला, बावली सुदर्शन-चरित .१११० १२.१०५ ८ ३६२८ ८ ३३.३ २ १० ११ ७.११ २ १९०३ ३३७ करना, ले जाना, ढोना इ विउरण - द्विगुण, दुगुना ८ ११.८ २.१.१३ १.६७ ५६१० ८.७४ ८.१०.८ ८.१३.१ ८.२२ ३ ; °य ११६१ ~ वाहिइ - वह् ( कर्मणि ) धारण N ८.१.१४ ( स्त्री० ) वामो- व्यामोह, मोह वाराणसीय - वाराणसी नगर वारिरुभ - जलस्तम्भन विद्या वाविर-वापित, बोया दृश्रा वासारत्त — वर्षाऋतु वासारत्तु - वर्षाऋतु २. ५.५ / वाह-व्या + ह् + ऊण ( क्त्वा ) ७.११.२ विछिय - वृश्चिक, बिच्छू विभय - विस्मय ७.११.१० ६. १६.२ विछुट्ट - वि + छुटित, छूट गया विजुला दुवइ - विजुला द्विपदी छन्द विजुलेह - विद्युल्लेखा छन्द विजमाल - विद्युन्माला छन्द विट्टल - विटाल, दूषित विडगुरुसत्य — विटगुरुशास्त्र, वात्स्यायन कामशास्त्र ३१६ विरुयार - विरूप + श्राचार, १२.७.८ ४.३.१० ८.३७.२ ६.७.१६ २.१०.२६ १२३.८ ६.२११४ ४.५.३ १.१ १४ √विढप्प — श्रर्ज इ -- विडिअ - विनटित, विडम्बित ६ ८.५; ११.६.१७; य १०.६.५ विणडेजंत - वि + नय् ( कर्मणि ) + शतृ वित्थारण्य - विस्तारण + क विद्दाग - विद्राण, म्लान, खिन्न विप्फइ - ( दे ) विशाल ४.२.३ विबुहवइ - विबुधपति, बृहस्पति, इन्द्र २.४.३ विरालो - बिडाल, मार्जार ६ १५.२ विराव - वि + रञ्ज, विरक्त होना इ ३११ ११ विरुद्ध आचरण विरह - वि + राज् विरेहंति १.६६ ( बहु० ) विलक्ख - विलक्ष, लजित, व्याकुल ८.३२.१२ विलासिणि- विलासिनी छन्द ७ १६११ ; ७.१२.२० ६.२३.४ ८.१६.८, ६.१.१८; १०.२.१३ ; ११.१२.१० ४ ५.२५ ३. ६.१५ विसट्ट - (दे ) विकसित ४.११० १२.१.१० ११.९.५. विसट्टअ - ( दे ) विकसित ७.७.२ ६.१.१५ ३.७.१० विसिलोय - छन्द ६.६८ ८.२१.१३ २ ११.११ ८.२०.३ ८.३३.६ विहंसणु - विध्वंसन, नाश १ १०.५ V विहट्ट - वि + घट्टय् इ (ग्रात्मने) ८.४४.१६ विहत्य - वीभत्स ६.३.४ ६.२.११ विहत्य - विहस्त, व्याकुल, व्यग्र विहप्फइ - बृहस्पति ४.२.३

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