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संधि ७
१.
सुदर्शन का सुखी जीवन
पिता के स्वर्ग चले जाने पर सुदर्शन देव के समान भोग भोगता हुआ तथा शंसा पाता हुआ रहने लगा । कभी वह शक्ति अनुसार मुनियों के समूह को शुभदान देकर सत्पुण्य लेता कभी भक्ति से जिनेन्द्र का स्तवन, महापूजन व अभिषेक करता । कभी सर्वज्ञ के मन्दिर को जाता व स्वयं जिनेन्द्र के उच्च मन्दिर बनवाता । कभी दिव्य आभरणों से शोभायमान हुआ स्तुति करते हुए वैतालिकवृन्द द्वारा सेवित होता । कभी सरस नाटक देखता व सुखदायी गीत-गान सुनता । कभी क्रीड़ाघर में विचरण करता हुआ मनोज्ञ चौज (विनोद) द्वारा अपनी प्रियपत्नी को वशीभूत करता । कभी हास्य में रोष दिखलाता, अथवा रिझानेवाले आलापों द्वारा सन्तोष उत्पन्न करता । कभी थोड़ा हितकारी वचन बोलता और अपने सुकान्त पुत्र को शिक्षा देता। कभी नाना प्रकार के कार्य में गुंथ जाता और अनेक संकल्प-विकल्प करता। इस प्रकार वह वणीन्द्र चतुरों के बीच मनोवांछित क्रीड़ा करता । ( यह वंशस्थ छंद है ) । इस प्रकार अन्तिम कामदेव सुदर्शन उत्तम विनोद करता हुआ रहने लगा, और वह पुण्यवान् राजा का प्रसाद पाने लगा ।
२. सुदर्शन पर कपिला का मोह
अपनी सुन्दर वाणी द्वारा त्रैलोक्य का रंजन करनेवाले उत्तम यशस्वी संयमी शिक्षा देते हैं । किन्तु जो लोकप्रिय है, उसको क्या शिक्षा दी जाय ? लोक में शुभ और अशुभ प्रत्यक्ष ही दिखाई देता है । धर्म का कितना फल वर्णन किया जाय ? क्या हाथ के कंकण को आरसी में देखा जाता है ? दर्शन व स्पर्शन की बात छोड़ो, किसी के विषय में सुनने मात्र से ही उसमें स्नेह हो जाता है । कपिल भट्ट पुरोहित की प्रिय पत्नी कपिला ने सुदर्शन के सौन्दर्य की बात सुनी, तब वह मृगलोचना, हंसगामिनी कामदेव के वाणों से आहत हो गई । वह बार-बार अटपटी वाणी बोलती, विह्वल होती व क्षण भर में कांप उठती । फिर एक क्षण में रोमांचित होकर पसीने से व्याप्त हो जाती । ( ठीक है ) विरह भी एक सन्निपात ज्वर समझा जाता है । उसका सराग मन सब दिशाओं में ऐसा दौड़ता, जैसे हाथी के पांव से मर्दित हुआ तुच्छ जल । कौन ऐसा है, जो स्नेह से
तापित और पवन द्वारा ध्वजापट के समान कंपायमान नहीं हुआ ? ( कपिला ) अपनी सखी से कहती- “हे सखि, मुझे मालव, देशी, गौडी व हिन्दोला राग नहीं सुहाता । विरही के नेह का उपशम करनेवाले कामदेव के पंचमवाण सदृश भावपूर्ण पंचमराग गा ।' कपिला के वचनानुसार सखी ने पंचम राग गाया । किन्तु उससे और भी विशेषरूप से उसके हृदय में कामदेव का बाण प्रविष्ट हो गया ।