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विषय सूची क्रम सं.
पृष्ठ सं० | क्रम सं० प्रथम अधिकार लोकनाड़ी का स्वरूप ।२६ लोकाकाश और अलोकाकाश की स्थिति
व लक्षण १ मङ्गलाचरण श्री प्ररहन्त स्तवन
| २४ लोक के विषय में मतान्तरों का खण्डन १० २ थी ऋषभदेव भगवान का स्तवन
२५ लोक का स्वरूप ३ श्री चन्द्रप्रभ भगवान का स्तवन
२६ लोक के भेद एवं उनका प्रमाण ४ श्री शांतिनाथ भगवान का स्तवन
| २७ अधोलोक का क्षेत्रफल एवं घनफल ५ श्री नेमिनाथ भगवान का स्तवन
२८ ऊर्बलोक का क्षेत्रफल एवं घनफल ६ श्री पार्वजिनेन्द्र स्तवन
२६ सम्पूर्ण लोक का घनफल ७ थी वर्धमानजिनेन्द्र स्तवन
| ३० लोक की परिधि का निरूपण ८ शेष तीर्थंकरों का स्तवन
३१ तीन वातवलयों का स्वरूप ६ विदेहक्षेत्रस्थ विद्यमान सीमन्धर प्रादि
| ३२ असनाली का स्वरूप तीर्थंकरों का स्तवन १० तीन काल संबंधी चौबीस तीर्थंकरों का
|३३ अधिकारगत अन्तिम मंगलाचरण स्तवन
द्वितीय अधिकार अधोलोक में श्वभ्र स्वरूप । ११ श्री सिद्ध परमेष्ठी का स्तवन
१ मंगलाचरण १२ श्री प्राचार्य परमेष्ठी का स्तवन
२ अधोलोक के वर्णन का हेतु और प्रतिज्ञा २१ १३ श्री उपाध्याय परमेष्ठी का स्तवन
३ अधोलोक की सात पृथ्वियों को स्थिति १४ श्री साधुपरमेष्ठी का स्तवन
और नाम १५ श्री वृषभसेन प्रादि गणधरों का स्तवन ६ ४ सातों नरकों के नाम १६ श्री स्याद्वादवाणीरूप सरस्वती का स्तवन ६ | ५ निगोद स्थान का कथन १७ श्री कुन्दकुन्दादि प्राचार्यों का स्मरण ७ ६ प्रथम पृथ्वी के भेद-प्रभेद १८ त्रिलोकवर्ती कृत्रिम-अकृत्रिम त्यालयों
७ ख र प्रादि भागों में रहने वाले देवों का तथा उनमें विद्यमान जिनबिम्बों का स्तवन ७ विवेचन १६ ग्रन्थकर्ता द्वारा पन्थरचना की प्रतिज्ञा | प्रथम पृथ्वी के तीन भागों की मोटाई २० मिनागम-महिमा
८} १. शेष छह पृथ्वियों का निरूपण २१ ग्रंथकर्ता द्वारा लघुता-प्रदर्शन
८ | १० सातों पृथ्वियों में स्थित पटल २२ लोकस्वरूप-कथन की प्रतिज्ञा ६ | ११ सातों पृथ्वियों में बिलों की संख्या