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सहायक के रूप में आमंत्रित किया। पंडितजी श्री बेचरदासजी प्राकृत भाषा एवं जैन शास्त्रों के बड़े मर्मज्ञ विद्वान हैं। इन्होंने कई महत्त्व के ग्रन्थों का संशोधन, संपादन एवं आलेखन आदिका कार्य किया है। सिंधी जैन ग्रन्थमाला में भी इनके सम्पादित एक-दो ग्रन्थ प्रकाशित हए हैं। भारत सरकार ने इनकी विद्वत्ता को उपलक्ष कर इनको सम्मानित किया है। इस प्रकार सिंधी जैन ग्रन्थमाला में इन दोनों पिता-पुत्र विद्वानों द्वारा गुंफित ग्रन्थ रूपी पुष्पों का समावेश होने से, ग्रन्थमाला की जो शोभावृद्धि हुई है। इनके इस प्रकार के वांग्मयात्मक सहयोग के लिये मैं इनके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करना चाहता हूँ।
आशा है ग्रन्थमाला के सहृदय अध्येतावर्ग प्रस्तुत प्रकाशन को प्राप्त कर प्रमुदित होंगे।
मुनि जिनविजय
श्री हरिभद्र सूरि स्मृति मन्दिर चित्तौड़गढ़-राजस्थान दि. ७ जुलाई १९७३
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