________________ छठठा भव वहाँ से च्युत होकर कोशल देश की राजधानी कोशलानगरी में इक्ष्वांकुकुलज निषधनाम के राजा के यहाँ पुत्र रुप से अवतरित हुए जिनका नाम 'नल' रखा गया उनके छोटे भाई का नाम कुबर था। इस तरफ विदर्भ देश में कुंडिनपुर नाम का नगर था, तथा भीम पराक्रमी 'भीम' नाम का राजा राज्य करता था, उनके मायारहित, अप्सरातुल्य पुष्पदंती नामकी रानी थी। अर्थ तथा धर्म पुरुषार्थ को बाधा न आवे उस रीतसे काम पुरुषार्थ का सेवन करते हुए रानीजी की कुक्षी में वीरमती का जीव जो देवलोक में था, वह पुत्रीरुप में अवतरित हुआ / उसी समय रानीजी ने रात्री के अंत में "दावानल से भयग्रस्त एक सफेद हाथी अपने महल के आंगन में आ रहा है, ऐसा स्वप्न देखकर जागृत हुई" रानीजी ने अपने पति से यह बात कही। सर्वशास्त्रपारंगत राजाने कहा “कोई पुण्याधिक जीव तुम्हारे गर्भ में आया है।" यह बात चल ही रही थी उसी समय दासी ने आकर कहा कि, इन्द्र के ऐरावत हाथी के सदृश एक सफेद हाथी राजमहल के प्रांगण में आया है / तब प्रसन्न होते हुए राजारानी वाहर आये और हाथी ने अपनी सूंड़ से उठाकर दंपती को अपनी पीठपर बैठाया तथा नगर की परिक्रमा की, राज्य के रहवासी जनता ने आनन्द में आकर हाथी का स्वागत किया, तथा गले में पुष्पमाला पहिनाई, सुगंधी पदार्थों का लेप किया। तदन्तर वह पुनः महल तरफ आया और राजारानी को नीचे उतारा, और स्वयं हाथीशाला में आया / दमयंती का जन्म गर्भ के योग्य खानपान रहनसहन पूर्वक रानीजी ने गर्भ का पोषण किया / तथा व्यतिपात, गंडांत, मूलादि नक्षत्र, अशुभदिन और योग को त्यागकर अच्छे समय में पुत्री को जन्म दिया। ... P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust