________________ के स्वभाव, तप, तेज तथा कर्मों की मार एक सी होती नहीं है, ऐसी परिस्थिति में सब कानून भी एक तरह के नहीं होते हैं तथा एक कानून भी सभी के प्रति एक सा नहीं रहने पाता है। चोरी के माल मुद्दे सहित चोर पकड़ा गया हो तो भी उसके अध्यव्यवसायों का तथा परिस्थिति विशेष का निर्णय भी न्यायाधीश को करना होगा कारण कि परिस्थिति वश चोरी करनेवाला इन्सान भी भूतकाल का या भविष्यतकाल का साहूकार हो सकता है, और दिखावे का साहकार भी बदमाश तथा भविष्यतकाल में भी महाबदमाश बन सकता है। इन तथ्यों के अलावा भा ईश्वरीयतत्व, न्यायाधीश के न्याय से भी बेहतर निराला तथा शक्तिपूर्ण होता है, जिससे अवसर विशेष प्राप्त होने पर न्यायाधीश का न्याय भी परिवर्तित होने में देर नहीं करता है, अथवा राजा महाराजाओं का भी परिवर्तित करना पड़ता है। - यह चोर जिसे मैं मेरी आंखों से देख रही हूँ, यदि मेरे सामने मृत्यु के शरण बने तो मेरे जैसी अरिहंतों पासिका श्राविका के दयाधम की दशा क्या होगी ? यद्यपि यह अपराधी हो सकता है तो भी मेरा शरण में आया हुआ होने से आप इसे अवश्य माफ करे क्योंकि जिसप्रकार चेपीरोग दूसरों में संक्रान्त होने में देर नहीं करता है, वैसे ही इन चार की कातर आंखे, रोने जैसी सूरत मेरे हृदय में संक्रांत हो जाने से दया की याचना करता इसका मुख मेरे से देखा नहीं जाता है। गरीब, अनाथ, अपराधी आदि का दर्द देखकर और सुनकर दयापूर्ण इन्सात के दिल में एक दर्द होता है, जिससे वह स्वयं बेचैन हो जाता है। राजन् ! अब आपको समझना सरल होगा कि, दूसरों के दर्द की अपेक्षा उसे देखकर और सुनकर अपने मन में उत्पन्न हुए दर्द की दवा इन्सान को करनी है, अन्यथा दयाधर्म भी एक तमाशे जैसा वन जायगा / ऋतुपर्ण राजाने धर्मपुत्री के तुल्य दमयंती की न्यायपूर्ण बात 84 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust