________________ शान्तिनाथ भगवंत की मूर्ति बनाकर पवित्र स्थान में स्थापित की। अपने आप गिरनेवाले ताजे तथा सुगंधी पुष्पों से परमात्मा का पूजन तीनों टाइम ध्यान वन्दन आदि शुद्ध अनुष्ठानों में अपने मन को लगा दिया / एकान्तर उपवास रखती हुई सती दूसरे दिन जंगल से फल लाती, उसे बीजरहित कर उससे उपवास का पारणा करती थी। - इस तरफ प्रातःकाल होने पर सार्थवाह ने दमयंती को जब नहीं देखा, तब चिंतामग्न होकर चारों तरफ तपास करवाया तथा स्वयं भी तपास करने हेतु रेत में पड़े हुए दमयंती के पैर के निशान के अनुसार घूमते-घूमते उसी पर्वत की गुफा में आया, जहाँ पर दमयंती परमात्मा के ध्यान में मग्न थी। देखकर प्रसन्नीभूत सेठ (सार्थवाह) सती को नमस्कार कर जमीन पर बैठ गया। उसने पूजा को समाप्त किया और स्वागत शब्दों से सार्थवाह के साथ वार्तालाप करने का प्रारम्भ किया। वार्तालाप (चर्चा) कभी जोरदार शब्दों में चलती थी, तो कभी धीमी आवाज में / - तापसों का हृदय परिवर्तनका ___ जिस गुफा में यह तात्विक चर्चा चल रही थी, वहाँ से कुछ दूरी पर तापसों का आश्रम था, जिसमें वहुत से तापस रहते थे उनके कान में ये चर्चा के शब्द पड़े और आनंदित होकर वे भी चर्चा में सम्मिलित हुए / संगीत से हिरणों का टोला जिस प्रकार तन्मय बन धर्म का सूक्ष्मातिसूक्ष्म रहस्य सुनकर तापस खुश हो गये और जिन्दगी में अभी तक सुनने में जो नहीं आया था, उसको सुनने में वे तापस व सेठ तन्मय बन गये, मन वचन काया से प्रसन्न बने / उसी समय आकार से बिजली के कड़ाके, मेघों की गर्जना के साथ मानो बारह मेघ एकह साथ टूट पड़े और नदी, नाले, तापसों के कुंड, उनकी पर्णकुटिएँ, सब P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust