________________ की लक्ष्मी मैंने मेरे हाथ से उपार्जित की है उसे भी मैं हँसता हुआ छोड़ रहा हूँ तो रथ की स्पृहा से भी मुझे मतलब क्या ? सामंतों ने कहा, 'प्रभो ! हमारी विनंती से भी आप रथ को स्वीकार करें, क्योंकि, मक्खन के पिंड के समान सुकोमल पैरवाली दमयंती को जंगल के रास्ते में पैदल चलना मुश्किल होगा अतः रथ को ग्रहण करके देवी के साथ रथाधिरुढ होकर वन में पधारियेगा। कर्मों की गति जटिल होने से पांच मिनिट के पहिले जो राजरानी थी, हीरे मोती के आभूषण तथा मुलायम वस्त्रों का परिधान करनेवाली थी, आज वही दमयंती रानी केवल एक ही वस्त्र पहिनी हुई अपने पति के साथ रथ में बैठी है / अदृश्य दृश्य देखकर अश्रुपूर्ण आँख से नागरिक अपने प्राणप्रिय राजा तथा रानी की यह दुर्दशा देखकर चित्कारने लगे तथा सोचने भी लगे कि, केवल एकही जुगार के व्यसन से राजा की यह दुर्दशा हुई, तो जो इन्सान सातों व्यसनों में जीवन यापन करता होगा उसकी वाय तथा आँतर दुर्दशा का क्या पूछना ? कौरवों को नेस्तनाबूद करनेवाले यादवों को शराब पान ने समाप्त किया / पाण्डु तथा श्रेणिक राजा ने शिकार के कारण दुर्दशा प्राप्त क परस्त्रीमें मोहांध बनकर तीन खंडके राजा रावण तथा दुर्योधन इतिहास के पानेपर काले मुंहवाले बनने पाये / वेश्यागमन से कौन सुखी बना? आज भी ताश पाने तथा रमी के खेल में अपने धर्म कर्म खोकर बैठे हुए श्रीमंतों के पुत्रों का आंतर जीवन कितना निकम्मा बना हुआ है, इसीलिए अरिहंत परमात्माओं ने कहा इन्सान ! पसीने की रोटी तेरे घर में सदाचार का संचार करेंगी जब हराम की रोटी दुराचार को आमंत्रण देनेवाली बनेगी, अतः तेरे भाग्य का तुझे मिलेगा ही इतना विश्वास रखकर ग्रार्हस्थ्य जीवन को पवित्रतम बनाने का प्रयत्न करना ही मानवता है / इतना भी ख्याल रखना चाहिए कि, मूल्यवान वेषभूषा, फर्नीचर से सजा हुआ रंगमहल, भाषा की सफाई, या लाखों करोड़ों रुपयों 34 P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust