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कि वही कार्य कोई दूसरा तुम्हारे प्रति करता तो सुलझ जायेगी, सुख शान्ति संसार में बरसने तुम्हे दुःख होता।
लगेगी। भाज जबकि विश्वयुद्ध के बादल संसार पर इस प्रकार महावीर के सभी उपदेश किसी मंडरा रहे हैं-मानव यदि इस एक ही सूत्र एक जाति, वर्ग या सम्प्रदाय के मानव को न पर अमल कर ले तो सारी समस्याय स्वयं ही होकर समग्र मानव जाति के लिए हैं।
अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, श्री कुन्द कुन्द जैन डिग्री कालेज,
खतौली-25120
महावीर के उपदेश एक उस विजयी आत्मा के विजय गान के समान है जिसने इसी संसार में छुटकारा, स्वतन्त्रता तथा मुक्ति प्राप्त करली हैंउसके आदेश हर एक के लिये अनिवार्य नहीं है। जो बिना उनको स्वीकार किये भी अनुभव से ज्ञान प्राप्त करके ही उस मार्ग पर चलने लगते हैं, वे भी अपनी आत्मा की एक-स्करिता नष्ट होने से और इसके गंदला होने के भय से बच जाते हैं।
-इटालियन विद्वान डा अलवर्टी योगी
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