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भगवान महावीर की आधुनिक युग को देन
0 राजकुमार जैन एडवोकेट
आज की विकट समस्याओं से हम घिरे हुए हैं। कुछ लोग उनके समाधान हेतु कठोर दण्ड की बात करते हैं। जिन देशों में कठोर दण्ड का सहारा लिया गया वहां भी विद्रोह हो रहे हैं और व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। महावीर के संयम को साधने वाला व्यक्ति और समाज ही आज राहत में जी सकता है और अन्य को राहत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। लेखक ने संक्षेप में इस ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। --सम्पाक
अाज भारत देश जिस ऐतिहासिक दौर से के जो सूत्र दिये हैं, वास्तव में वे लोकतंत्र शासन गुजर रहा है, उस में हमें राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण प्रणाली के प्राधारभूत सूत्र हैं । करने और राष्ट्र में अनुशासन मर्यादा व कर्तव्य
भारत का संविधान पूर्णत: अनाक्रमण सह पालन की प्रेरणा जगाने के लिए भगवान महावीर
__ अस्तित्व समता और संयम पर आधारित है । ये के सिद्धांतों व आदर्शों को ग्रहण करना होगा।
तत्व महावीर के मौलिक और व्यावहारिक सिद्धांत भगवान महावीर एक युग पुरुष थे, उन्होंने है, अाज अनाक्रम ण नीति के पक्ष में समूचे विश्व मानवता को जियो और जीने दो का सिद्धांत दिया की जनभावना जागृत हो रही है। यद्ध की और मानव कल्याण के लिये सत्य और अहिंसा भयानक और विनाशकारी समस्या के समाधान के सिद्धांत के पालन पर बल दिया।
में अनाक्रमण नीति सफल और कारगर सिद्ध हुई
है, विश्व शान्ति की दिशा में इसे महावीर के भगवान महावीर अहिंसा तथा क्षमा के
सिद्धांतों का मूल्यवान योग कहा जा सकता है, सह अवतार थे। उनका जीवन दर्शन विश्व के भाई
अस्तित्व भगवान महावीर का ही सिद्धान्त है। चारे व मैत्री और प्रेम की भावना फैलाने के लिये एक प्रकाश पुज का काम करता है। सदियों से समाजवादी विचार महावीर के अपरिग्रह हर मनुष्य उनके उपदेशों से आध्यात्मिक शान्ति दर्शन का फल है । पूजी का केन्द्रीकरण सामाजिक व अहिंसा की प्रेरणा प्राप्त कर रहा है।
विषमता को बढ़ावा देता है और यह विषमता ही
वर्ग संघर्ष का कारण बनती है । भगवान महावीर ने जो सिद्धान्त निश्चित किये वे सर्वजन हिताय है। उनमें इस यूग की भारतीय संविधान में जाति, धर्म, लिंग, रंग समस्या का सम्यक् समाधान निहित है। महावीर के भेद भावों को भी स्थान नहीं दिया गया है। ने अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकान्त, संयम और समता नागरिकता के मूलभूत अधिकार सबके लिए समान
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