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उत्तरपुराण कालीन सामाजिक जीवन
0 डा० प्रेमचन्द जैन जैन अनुशीलन केन्द्र, राजस्थान
विश्वविद्यालय, जयपुर प्रत्येक युग का सच्चा साहित्यकार, कवि या ब्राह्मण-ब्राह्मण यज्ञ-यगादि करते और महाकवि स्वयं अपने समय की सामाजिक राज- वैदिक साहित्य का अध्ययन अध्यापन करते थे। नैतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक परिस्थितियों के राजा और श्रीमंतो का पौरोहित्य भी उनकी परिप्रेक्ष्य में एवं पृष्ठभूमि के पट पर ही अपने आजीविका का साधन थ। सेना के प्रयाण के वर्ण्य विषय के काल की अमूक स्थिति के चित्र की समय ब्राह्मण साथ जाते थे, जो स्नानोपरान्त टीका रेखायें अंकित करता है। वह किसी भी काल की लगाकर गले में फूलों की माला डालकर शरीर पर स्थितियों का वर्णन करे, परन्तु उसके अनुमान का चन्दन का लेप करके दर्भ से संध्यावंदन किया करते प्राधार तो उनका वर्तमान ही होता है। इसी थे। पुराण में एक स्थल पर गौतम गोत्रीय वर्तमान के पट पर, उसकी कल्पना रूपी तूलिका इन्द्रभूति नामक ब्राह्मण का वेद वेदांग में पारंगत मनमाने रंग भर-भरकर नये-नये चित्र बनाती है। होने का उल्लेख पाया है। समाज के अन्य वर्गों उसका सजागरुक यत्न रहता है कि वह पाठक को में ब्राह्मणों की क्या स्थिति थी, इस सम्बन्ध में वर्तमान से उठाकर उसके मानस को अपने वर्ण्य- उत्तरपुराण से कोई अनुमान नहीं लगता। काल के स्तर पर ले जाये और इस यत्न में उसे जितनी सफलता मिलती है, वही उसके साहित्यक क्षत्रिय-क्षत्रियों का मुख्य कार्य युद्धों में लड़ना साफल्य का मापदंड बनती है। पर सम-सामायिक एवं अन्य वर्गों की सेवा करना था। केवल राजानों युग की स्थितियों का सही-सही चित्रण भी उसके को ही उत्तरपुराण में क्षत्रिय कहा गया है। साफल्य की उतनी ही महत्त्वपूर्ण कसौटी है बनारस नामक नगरी में क्षत्रिय सुप्रतिष्ठ महाराज जितनी कथा-वस्तुगत वर्ण्य काल के चित्रण की। राज्य करते थे, इनका जन्म इक्ष्वाकुवंश में हुआ इस दृष्टि से उत्तर-पुराणकार ने तत्कालीन सामा- था। जिक जीवन, व्यापार, कृषि, शिक्षा, साहित्य एवं सामाजिक रीति-रिवाज आदि के सम्बन्ध में प्रभूत वैश्य-वैश्य जाति के उल्लेख वणिक् गोत्र, व प्रामाणिक जानकारी प्रदान की है।
वणिक या बनिये के नाम से उत्तरपुराण में अनेक
बार आये हैं । व्यापार-वाणिज्य बनियों का प्रमुख वर्ण-उत्तरपुराण में वर्ण-व्यवस्था से सम्ब- व्यवसाय था। विधुच्चर के देश दर्शन के बहाने से न्धित निम्न जानकारी प्राप्त होती है
कवि ने बताया है कि व्यापारी जल और थल दोनों
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