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... स्वयंवर से विवाहों में कनकमाला का हरिवाहन है। इसी प्रकार जयकुमार,25 वसुदेव,26 कृष्ण,7 के साथ विवाह,10 बलभद्र की पुत्री सुमती का वलदेव28 तथा देवकी के छहों पुत्रों के अनेक स्त्रियों विवाह1, विद्युतप्रभा का विवाह,12 द्रौपदी का के उल्लेख हैं । अर्जुन के साथ विवाह,13 सुलसा का सागर के साथ विवाह.14 पद्मावती से श्रीकृष्ण का विवाह15 भोजन-पुराणकार ने लिखा है कि लोग
तृणमय प्रासनों पर बैठे। ग्रीष्म ऋतु होने से उल्लेखनीय है।
तालपत्र निर्मित और सुगन्धित जल से भीगे हए अन्य प्रकार के विवाहों में वाग्दान से, पंखों से हवाएं की जाने लगी तथा नाना प्रकार के भविष्यवाणी से, साटे से विवाह 16 विधवा विवाह17 मीठे खट्ट, चरपरे व मिश्रित व्यञ्जन परोसे गये । एवं विधुर विवाह आदि भी प्रचलित थे।
चावल से बनाया हुआ तथा खूब घी से सिक्त
भात, खट्टे प्राचार, चटनी तक्र और मूग से बने ___ मातुल कन्या से विवाह-उस काल में मामा
हए नाना प्रकार के व्थजन बहत-सी कटोरियों भुपा के पुत्र पुत्रीयों में विवाह सम्भव थे। धनदेव
में रखकर परोसे गये । अन्य भोजन सामग्रियों में के पुत्रों ने कुलवरिणज नामक मामा के पुत्र से
पूये,29 बूदी आदि भी उपयोग में प्रचलित थे ।30 अपनी बहन का विवाह किया।18 राजा ज्वलनजटी
__ भोजन से तृप्त हो कर जल से मुख शुद्धि कर लेने ने राजा प्रजापति को पत्र लिखा कि मेरी पत्री
पर सुगन्धित द्रव्य ताम्बुल सुपारी आदि दी जाती स्वयंप्रभा मेरे भानजे त्रिपृष्ठ की स्त्री हो; प्रजापति
आत थी 131 ने इसे स्वीकार कर लिया 119 इसी तरह सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति ने अपने मामा की लड़कियों
इसके अतिरिक्त कुछ व्यक्ति मांसाहारी भी क्रमश: धनश्री. मित्रश्री और नागश्री से विवाह
थे । यद्यपि इस प्रकार के प्राहार को अखाद्य किया ।20 हरिवाहन का धनश्री के साथ,21
बताया गया हैं फिर भी कुछ राजा-महाराजा आदि चारुवत्त का मित्रवती के साथ,22 सोमशर्मा का
बड़े-बड़े लोग उसका उपयोग करते थे। राजा चन्द्रानना के साथ23 इसी प्रकार के मातुल कन्या
कुम्भ मांस का बड़ा शौकीन था 12 पशुओं में के साथ विवाह थे।
सिंह, व्याघ्र, हरिण, बकरे आदि का तथा पक्षियों बहपत्नित्व-प्राचीनकाल में सामान्यतया
में कौने का तथा मछली का मांस अधिक प्रिय एक ही पत्नी रखने की परम्परा थी, पर पौराणिक होता था 133 पेयों में दूध, छाछ के अतिरिक्त मद्य काल में हम पाते हैं कि राजा-महाराजा एवं श्रेष्ठि (मदिरा)34, शिरका का उपयोग किया जाता वर्ग कई सारी पत्नियां रखते थे। अन्तःपुर की था । एक स्थल पर राजा विश्वनन्दी को मदिरा रानियों की संख्या अधिकाधिक रखने में गौरव का का व्यसनी होना बताया है । अनुभव करते थे और यह अन्तःपुर अनेक राजाओं के साथ उनके मित्रतापूर्ण सम्बन्ध हो जाने के
मसालों में सोंठ, हरड़, आंवला37 एवं दालचीनी
का भी उपयोग होता था 138 कारण उनको राजनैतिक क्षेत्र में शक्तिशाली बनाने ने सहायक होता था। पुराण में एक स्थान पर24 पुराण में भोजनशाला में प्रयुक्त पात्रों के कुमार के वसुन्धरा, सुन्दरी एवं अन्य 32 वैश्य बारे में भी विस्तृत जानकारी मिलती है। उस कन्याओं के साथ विधिपूर्वक ब्याह करने का उल्लेख समय चाकी, चुल्हा,39 उत्खल,40 कडाही,41 थाल
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