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(१]
अय महावीर महावीर महावीर
तुमने
जीवन भर
सत्य और अहिंसा का
पाठ पढ़ाया नारा दिया
जियो और जीने का
लेकिन आज
सुनते हैं नया नारा पियो और पीने का ॥
याज का युग प्राज
न कोई सत्य है
न कोई हिंसा है मौसम है खाने ये दस्तूर है इस जमाने का ॥
खिलाने का
कैसे मिटेगी इस जग की पीर ।
अय महावीर महावीर महावीर (३) तुम जीवन भर
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(२) तुमतो कहते थे
मानव
कर्म से महान होता है ।
लेकिन आज
सुनते हैं
मानव
कर्म से नहीं
जन्म से महान होता है | इसीलिये
उच्च जाति के लोग
उच्च हैं ।
शेष
नीचे के लोग
मानवता का पाठ पढ़ाते रहे दानवता को भगाते रहे
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तुच्छ हैं । तुमतो छुप्राछूत से दूर रहे और हरते रहे जग की पीर ।
D श्रेयांस जैन श्रौलिया व्याख्याता छतरपुर
सारी दुनियां के कष्टों को मिटाते रहे प्रेम और बन्धुत्व को दुहराते रहे । लेकिन आज
मानव
सिर्फ तुम्हारी जयन्ती मनाता है साल भर को छुटकारा पाता है दूसरे दि
रंगरेलियाँ मनाता है ।
भूल जाता है
थे कोई महावीर
हरी जिन्होने दुनियाँ की पीर ।
अय महावीर महावीर महावीर
य महावीर महावीर महावीर
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