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भी लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध कवि हुए वे भी 17वीं कबीर पर एक एक नहीं किन्तु पचासों शोध निबन्ध एवं 18वीं शताब्दि को ही अधिक सम्बन्धित हैं। लिखे जा सकते हैं तो इन जैन कवियों पर भी इन एक एक जैन कवि को शोध का विषय बनाया पचासों नहीं तों एक से अधिक शोध निबन्ध तो जा सकता है। यही नहीं ब्रह्म जिनदास, यशोधर, लिखे ही जा सकते हैं जैसे-जैसे ये कवि विश्वब्रह्म रायमल्ल, बूच राज, छीहल, ठक्कुरसी, बनारसी- विद्यालयों में पहुंचेंगे विद्वानों का ध्यान उनकी दास, रूपचन्द, भगौतीदास, भधरदास, दौलतराम रचनाओं पर जावेगा। अब मैं पचास ऐसे शोध के कासलीवाल, द्यानतराय, जैसे पचासों कवि तो ऐसे विषयों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना हैं जिनका विविध दृष्टियों से अध्ययन किया जा चाहता हूँ जिन पर विश्वविद्यालयों में शोध प्रबन्ध सकता है । जब सूर, तुलसी, मीरा, जायसी एवं प्रस्तुत किये जा सकते हैं :
1. हिन्दी के आदिकाल के जैन रास काव्य . कविवर राजसिंह-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
ब्रज भाषा का प्रथम कवि सधारु एवं उनका प्रद्युम्नचरित 4. महाकवि ब्रह्म जिनदास के काव्यों का भाषागत अध्ययन 5. ब्रह्म जिनदास का रामसीता रास-एक अध्ययन
दास काव्य शिरोमणि ब्रह्म जिनदास 7. 16 वीं शताब्दि के हिन्दी जैन कवि 8. हिन्दी के जैन रूपक काव्यों का पालोचनात्मक अध्ययन 9. कविवर बुचराज-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 10. हिन्दी जैन कवियों की बावनियों का उद्भव एवं विकास 11. कविवर ठक्कुरसी-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 12. ब्रह्म रायमल्ल की रचनाओं का सांस्कृतिक अध्ययन 13. भट्टारक रतन कीर्ति-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 14. जैन संत कुमुदचन्द्र-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 15. नेमि राजुल साहित्य-एक अध्ययन 16. भट्टारक यशोधर-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 17. महाकवि बनारसीदास-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 18. समयसार नाटक का आत्म दर्शन 19. कविवर रूपचन्द-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 20. हिन्दी गद्य लेखक-पाण्डे राजमल्ल 21. 17वीं शताब्दि के हिन्दी गद्य निर्माता 22. बनारसीदास एवं उनके समकालीन कवि 23. भैया भगवतीदास-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 24. पंडित भगौतीदास-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 25. कविवर प्रानन्दद्यन-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 26. महाकवि समय सुन्दर के काव्यों का अध्ययन
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