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बारम्बार प्रणाम (विद्वत्ररत्न श्री पं० हीरालाल जी जैन 'कौशल' )
श्रादिनाथ सुत बाहुबली जी,
भरत चक्रि को जीत,
कठिन तपस्या लीन,
कर्म काट बन गये सिद्ध,
नृप चामुंडराय बनवाई,
करी प्रतिष्ठा नेमिचन्द्र,
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( 1
सहस्राब्दि उत्सव मनवाया,
विद्यानन्द सिद्धान्त चक्रि,
गुण बल गौरव धाम ।
लिया वैराग्य, बने निष्काम ।
सर्प बेलों से घिर अविराम ||
है बारम्बार प्रणाम ||
( 2 )
प्रतिमा एक विशाल ।
सिद्धान्त चक्रि उस काल ।।
देश व्यापि अभिराम ।
को बारम्बार प्रणाम ||
3749 गली जमादार पहाड़ी धीरज, देहली - 6
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