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अनेक कारणों से धर्मावलम्बियों के लिए मांस मसाय है, जो प्रत्येक प्राणि को अपनी ही तरह मानते हैं वे मांस कैसे खा सकते हैं, जो पशुओं को मार कर प्राप्त किया जाता है ।
महात्मा बुद्ध
शव अस्पर्शनीय है, वह मनुष्य श्रौर पदार्थ को अपवित्र करता है इसे अग्नि के समीप लाना पाप । कसाई घर पाप की प्राकर्षक शक्ति का केन्द्र है। जिस मनुष्य के हाथ निर्दोष प्राणी के खून से रंगे हों उसे ईश्वर की प्रार्थना कर दया प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं ।
जोरास्टर पारसी
उनसे परमात्मा कभी प्रसन्न नहीं रहता जो जीव हत्या करते हैं ।
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गुरु गोविन्दसिंह
बिना दया के बड़ा संत भी कसाई के समान होता है। सिख गुरु पूर्ण शाकाहारी रहे हैं ।
सतगुरु हरीसिंह
जो व्यक्ति मांस मछली और शराब का सेवन करते हैं, उनके जप, तप, धर्म, कर्म सब नष्ट हो जाते हैं।
गुरुनानक सिख धर्म
खुदा के सभी प्राणी एक परिवार है। अल्लाह के पास इस बलि का न सुन ही पहुंचता है न मांस ही, बल्कि वही पहुंचता है जो आपके पास शुद्ध है, पवित्र है ।
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मोहम्मद साहब इस्लाम
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जोरावर भवन, जौहरी बाजार,
जयपुर - 3
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