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वीर वंदना
डा. शोभनाथ पाठक एम. ए. (हिन्दी संस्कृत) पी. एच. डी., साहित्यरत्न
महावीर सन्मति वागी से जन-जन का कल्याण हो, वीर जयन्ती के सम्बल से नवयुग का निर्माण हो। सत्य अहिंसा बने सहारा जग का रूप संवारे, त्रिशलासुत के जन्म ग्रहण से जागे भाग्य हमारे ।
अष्ट सिद्धि, नव निधि का वैभव, कुण्ड ग्राम में पाया, महाराज सिद्धार्थ प्रफुल्लित, अनुपम सुख उफनाया । सचर अचर सब धन्य हो गये, उमड़ा वैभव सारा,
वर्द्धमान इसलिए कहाए, युग के लिए सहारा । धन्य हो गई धरती अपनी महावीर को पाकर, उफन पड़ा मातृत्व अलौकित मां का हृदय जुड़ा कर । आशा के अंकुर में उपजी महावृक्ष की महिमा, अनुपम अद्भुत चमत्कार से निखर पड़ी वह गरिमा।
भरी जवानी में जिसने जग का वैभव ठुकराया, त्याग तपस्या के आगे त्रैलोक्य जीव सकुचाया। ज्ञान प्राप्ति से गुरुता उमड़ी, गणधर स्वयं समाये,
मानवता के महापुरुष को सबने शीश झुकाये । वीर जयंती पर वंदन है; शत शत बार प्रणाम हैं, पांच व्रतो से विश्व संवारे, यही तथ्य अभिराम है। पाकुल युग, अणुपम से पीड़ित, जिसकी ओर निहारे, आज विश्व को वही उबारे, प्रभुवर पूज्य हमारे ।
35 शिमला हिल्स,
भोपाल, म. प्र.
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