Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 17
________________ =] [ जवाहर - किरणावली प्र० पुरोहित – क्यों ? मंत्री - इनकी आत्मा नहीं चाहती । प्र०पुरोहित - आप शास्त्र की बात नहीं समझते। हम लोग इन पशुओं की कुछ भी हानि नहीं कर रहे हैं। हम तो इन्हें सीधे स्वर्ग भेज रहे हैं। स्वर्ग में पहुँच कर इन्हें दिव्य सुख प्राप्त होगा । न आप यह बात जानते हैं और न बकरे ही जानते हैं । हम ज्ञानी हैं । हमने शास्त्र पढ़े हैं। अतएव इन बकरों की भलाई में बाधा मत डालिए | मंत्री - आपका ज्ञान तो आपके कामों से और आपकी बातों से प्रकट ही है । परन्तु जब यह पशु स्वर्ग चाहते हों, तब तो इन्हें स्वर्ग भेजना उचित भी कह सकते थे । मगर यह स्वर्ग नहीं चाहते। जबर्दस्ती करके क्यों भेज रहे हो ? आखिर बकरे बचा लिये गये । पुरेहित घबराया | उसकी दुकानदारी जो उठ रही थी ! फिर उन्हें पूछता ही कौन ! वे भी राजा के पास पहुँचे । कहने लगे- अन्नदाता ! शांति के लिए यज्ञ प्रारंभ किया गया था । पन्तु यज्ञ में बलि दिये जाने वाले बकरों को मंत्री ने छुड़ा लिया और यज्ञ रोक दिया । राजा असमंजस में पड़ गया। सोचने लगा - मामला क्या है ! आखिर उसने मंत्री को बुलवाया । बकरे छुड़वाने के विषय में प्रश्न करने पर मंत्री ने उत्तर दिया- महाराज : मैंने आपकी आज्ञा से पशुओं को मरने से बचाया है । राजा - मैंने यह आज्ञा कब दी है ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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