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थोवडा संग्रह।
यनी ७ मनुष्य गति वाले ८ अप्रमादी ६ क्षायिक सम्य. क्वी १० अवेदी ११ अकषायी १२ यथाख्यात चारित्री १३ स्नातक निग्रंथी १४ परम शुक्ल लेश्यी १५ पंडित वीर्यवान १६ शुक्ल ध्यानी १७ केवल ज्ञानी १८ केवल दर्शनी १६ चरम शरीरी । इस तरह १६ बोल वाले जीव मोक्ष में जाते हैं । जघन्य दो हाथ की उत्कृष्ट ५०० धनुष्य की अवगाहन वाले जीव मोक्ष में जाते हैं, जघन्य नव वर्ष के उत्कृष्ट कोड़ पूर्व के आयुष्य वाले कर्म भूमि के जीव मोक्ष में जाते हैं। जब सब कमों से आत्मा मुक्त होवे तब वह अरूपी भाव को प्राप्त होती है, कम से अलग होते ही एक समय में लोक के अग्र भाग पर प्रात्मा पहुंच कर अलोक को स्पर्श कर रह जाती है। अलोक में नहीं जाती कारण कि वहां धर्मास्ति काय नहीं होती इसलिये वहीं स्थिर हो जाती । दूसरे समय में अचल गति प्राप्त कर लेती है। वहां से न तो चव कर कोई आती और न हलन चलन की क्रिया होती, अजर अमर, अविनाशी पद को प्राप्त हो जाती व सदा काल आत्मा अनंत सुख की ल्हेर में निमग्न रहती है।।
॥ इति मोक्ष तत्त्व ॥
*546 ॥ इति श्री नवतत्त्व सम्पूर्ण ॥
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