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सर्व प्रथम इस ग्रंथ में चौबीस द्वार के माध्यम से परिचय दिया जा रहा है, जो संक्षेप में इस प्रकार है :
(१) नाम द्वार (२) लक्षण द्वार (३) भेद द्वार (४) दृष्टान्त द्वार (५) परिचय द्वार (६) प्रश्न द्वार (७)आत्मा द्वार (८) सावध निवद्य द्वार (९) रूपी अरूपी द्वार (१०) जीवा जीव द्वार (११) शुभाशुभ द्वार (१२) धर्म कर्म द्वार (१३) आज्ञा अनाज्ञा द्वार (१४) नित्या नित्य द्वार (१५) गुणस्थान द्वार (१६) समावेश द्वार (१७) प्रकृति अप्रकृति द्वार (१८) भाव द्वार (१९) द्रव्य गुण पर्याय द्वार (२०) द्रव्य क्षेत्र काल भाव गुण द्वार (२१) उत्पात व्यय एवं ध्रुव द्वार (२२) तालाब दृष्टान्त द्वार (२३) भिन्ना भिन्न (भेदा भेद) द्वार (२४) हेय, जोय, उपादेय (त्याज्य, ज्ञातव्य एवं ग्राह्य) द्वार ।
१. नाम द्वार प्रथम नाम द्वार में तत्वों के नाम इस प्रकार हैं :
(१) जीव (२) अजीव (३) पुण्य (४) पाप (५) आश्रव (६) संवर (७) निर्जरा. (८) बंध और (९) मोक्ष ।
* प्रथम द्वार, समाप्तम् -