________________
xxviii
में स्त्री ४७२, परिवार में स्त्री का स्थान ४७३, माता के रूप में स्त्री ४७३, कन्या के रूप में स्त्री ४७४, पुत्रवधू के रूप में स्त्री ४७५, पत्नी के रूप में स्त्री ४७६, स्त्री-भोगविलास तथा मदिरापान ४७८, दाम्पत्य जीवन तथा यौन सम्बन्ध ४८०, गर्भवती स्त्री तथा दोहद ४८१, वेश्या ४८१, नर्तकी तथा
वाराङ्गना ४८३, सती प्रथा का विरोध ४८३ । २. विवाह संस्था
४८५-५०६ विवाह भेद ४८६, मंत्रणा पूर्वक विवाह ४८६, स्वयंवर विवाह ४८६, पूर्वाग्रहपूर्ण स्वयंवर विवाह ४६०, प्रेम विवाह ४६१, अनुतन्धनात्मक प्रेम विवाह ४६२, प्रतिज्ञा विवाह ४६३, अपहरण विवाह ४६३. वर एवं वधू के चयन का प्राधार ४६५, विवाह विधियां ४६६, विविध प्रकार की क्षेत्रीय विवाहानुष्ठान विधियां ४६६, वरांगचरित ४६६, पद्मानन्द ३६७, सनत्कुमारचक्रिचरित ४६६, द्वयाश्रय ५००, शान्तिनाथचरित ५००, विवाह सम्बन्धी अन्य रीति-रिवाज ५०१, स्वयंवर विवाह विधि ५०२, स्वयंवर में पाए राजकुमारों की चयन योग्यताएं ५०३, विवाह संस्था सम्बन्धी अन्य प्रथाएं ५०४, दहेज प्रथा ५०४, दहेज प्रथा का विरोध ५०६, बहुविवाह प्रथा ५०६, निष्कर्ष ५.०८।
नवम अध्याय भौगोलिक स्थिति
५१०-५४० भूगोलशास्त्र सम्बन्धी प्राचीन मान्यताएं ५१०, वैदिक पुराणों में भौगोलिक मान्यताएं ५१०, जैन भौगोलिक मान्यताएं ५११, प्राचीन ऐतिहासिक देशविभाजन ५१२, पालोच्य युग में भौगोलिक परिस्थितियां ५१३। .. १. पर्वत
____५१४-५१८ उज्जयन्त ५१४ अर्बुदाचल ५१४, शत्रुजय ५१४, विन्ध्याचल ५१४, हिमालय ५१५, कैलाश ५१५, पारिजात ५१५, ऋक्ष पर्वत ५१५, माहेन्द्र ५१५, सह्य ५१५, शक्तिमत्, ५१६, मलय ५१६, अन्ध ५१६, उशीनर ५१६, नीलाद्रि ५१६, शैलप्रस्थ ५१६, शाल्व ५१६, मणिकूट ५१७, मेरु ५१७, पूर्वमन्दर ५१७, इषुकार गिरि ५१७, विजयाध पर्वत ५१७, वेलाद्रि ५१७, सम्मेदाचल
११७, श्री पर्वत ५१८, २. नदियां
५१८-५२२ गंगा ५१८, यमुना ५१८, तापी ५१८, सरयू ५१८, मही ५१८, सरस्वती ५१६, चर्मण्वती ५१६, जम्बूमाली ५१६, द्रुमती ५२०, ऋजुकूला ५२०, सीता ५२०, नर्मदा ५२०, रेवा ५२०, पारा ५२१, भोगावती ५२१,