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बार महाभट मारो ॥ जो इत्यादि भजे प्रभु तौने । ती नृवृतै संसारो ॥शा पदम०॥ पाप पराल को पुज बन्यौं अति ॥ मानू मेरु अकारो ॥ त तुम नाम हुताशन सती ॥ सह ज्या प्रजलत सारो॥४पदम।। परम धर्म को मरम महारसासो तुम नाम उचाराया. सम मंत्र नहीं कोई दूजो ॥ त्रिभुवन मोहन गारो॥५॥ पदम ॥ तो सुमरणः बिन इण कलजुग में ।। अबरन को आधारोमि बलि जाऊ तो सुमरन परादिन २ प्रीत बधारौ।। ॥शापदमाकुसमा राणी को अंग जात तुं॥ श्रीधर राय कुमारौ ॥ बिनचंद कहे नाथं निरं. जन जीवन प्रान हमारौ ॥७॥पद इति।।६।।
ढाल ।। प्रभुजी दीन दयाल सेबक सरणे आयो ।' ' ' एदेसी :