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PARAN
निवेदन (अर्थात् दयानंदीमत का खंडन)
राजा शिवप्रसाद सितारैहिन्द इलाहाबाद और कलकत्ते की यूनिव
र्सिटी के फेलो का सज्जन आर्य पुरुषों से NIVEDAN
BY
RAJA SIVA PRASAD, C. Sal., FELLOW OF THE UNIVERSITIES OF
ALLAHABAD AND CALCUTTA.
लखनऊ मुन्शी नवलकिशोर (नी,भाई,ई) के छापखानेमें छापा गया
नवम्बर सन् १८९७६०
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दूमरीबार ६०० पुस्तके पोल प्रतिपुस्तक )
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