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द्रव्यानुभव-रत्नाकर ।
[३१ उसको कहते हैं कि, किसी चीजका लक्षण कहा और वो लक्षण लक्षको छोड़कर अन्य चीजमें चला जाय, उसको अति व्याप्ति कहते हैं । और अव्याप्ति उसको कहते हैं कि जिसका लक्षण कहे उस लक्षको सम्पूर्णको न समेटे अर्थात् इकट्ठा न करे, एक देश रहकर अपने सजाती लक्षको छोड़ देय, उसका नाम अव्याप्ति है। तीसरा असम्भव उसको कहते हैं, कि किसीका लक्षण किया उस लक्षणका अन्श लक्षमें किंचित् भी न आया, लक्षण कह दिया और लक्षका पता भी नहीं, इसलिए इसको असम्भव दूषण कहा। अब इन तीनों दूषणोंका दृष्टान्त भी देकर दिखाते हैं, कि जैसे गऊ (गाय) का लक्षण किसीने किया कि सींग वाली गऊ होती है जिसके सींग होगा वो गाय है । इस लक्षणसे अति व्याप्ति हो गई, क्योंकि देखो सींग भैसके भी होता है, और बकरीके भी होता और सींग हिरनके भी होता है, जो सीग वाले पश हैं उन सबमें लक्षण चला गया, केवल गायमें न रहा, इसलिये इसको अति व्याप्ति दूषण कहा। दूसरा किसीने गऊका लक्षण कहा कि "नीलत्वं गोत्व नील रङ्गकी गाय होती है, अब इस लक्षणसे अव्याप्ति होती है, क्योंकि देखो गाय सफेद भी होती है, गाय पीली भी होती है, और गाय लाल भी होती है, तो वो भी लक्षण गायका सर्व गऊरूप लक्षको न बताय सका, इसलिये एक देश होनेसे अव्याप्ति रूप दूषण होगया। अब असम्भव दूषण इस रीतिसे होता है, कि किसी चीजका लक्षण किया और उस लक्षणका एक अंश भी लक्ष न पहूचा' क्योंकि देखो किसीने कहा कि ( एक सापत्वं गोत्वं ) अर्थात् एक खुरवाली गऊ होती है, तो देखो एक खुर गधा वा घोड़ाके होता है, गायके तो एक पगमें दो खुरी होती है, इसलिये गायमें लक्षणका संभव न हुआ, इसलिये इसलक्षणको असम्भव कहा। इन तीनों दूषणोंसे रहित गायका सा लक्षण होता है सोही दिलाते है कि, लक्षणका कहने वालाधुद्धिमान पुरुष गायका लक्षण इस रातिल कहेगा कि (सासनादि मस्ये सतीलिगत्व लांगत्व गोत्व) अर्थात् सासन मर्यात् गलेका चमड़ा मटके और सींग जिसके हीय और
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