Book Title: Dravyanubhav Ratnakar
Author(s): Chidanand Maharaj
Publisher: Jamnalal Kothari

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Page 144
________________ [११३ द्रव्यानुभव-रत्नाकर।] वृत्तिवालेके भी दो भेद हैं-१ तो वृत्ति परिणाम वाला, २ अबृत्ति परिणाम वाला ? उस अवृत्ती परिणाम वालेके भी दो भेद हैं ? अवृत्ती समगतीं, २ मिथ्यात्वी ? उस मिथ्यात्वीके भी दो भेद हैं एक तो अभव्य, २ भव्य । उस भब्यके भी दो भेद हैं ? ग्रंथी करके रहित, २ नथी करके सहित। इसरीतिसे जैसा जीव देखे तैसा ही कहे। अब इसी ब्यबहार नयसे पुद्गलके भी भेद करके दिखाते हैं कि,पुद्गल द्रब्यके दो भेद हैं-एक तो परमाणु, २ खन्द ? उस खन्दके भी दो भेद हैं-एक तो जीव सहित अर्थात् जीवसे कर्मरूपपुद्गल लगा हुआ, २जीव रहित। १जीव सहित खन्दके दो भेद हैं एक तो सूक्ष्म, २ बादर । ___ यहां बर्गणाका बिचार लिखते हैं कि पुद्गलकी बर्गणा आठ हैं सो उनके नाम कहते हैं १ औदारीक वर्गणा, २ वैक्रिय वर्गणा, ३ आहारक वर्गणा, ४ तेजस्वर्गणा, ५ भाषावर्गणा, ६ उस्वासवर्गणा, ७ मन वर्गणा, ८ कारमण बर्गणा, यह आठ बर्गणाका नाम कहा। __अब इनकी व्यवस्था कहते हैं कि- बर्गणा किसरीतिसे बनती है और कितने परमाणु इकठ्ठा होनेसे बर्गणा होती है सोही दिखाते हैं। दो परमाणु इकट्ठा (भेला) होते हैं तब द्विणुकखन्द होता है, तीन परमाणु इकट्ठा होय तब त्रिणुक खन्द होय, चार मिले तोचतुर्णक खन्द होय, ऐसे ही संख्यात परमाणु इकट्ठा मिले तो संख्यात् परमाणुका खन्द बने, ऐसे ही असख्यात परमाणु मिले तो असंख्यात् परमाणुका खन्द बने, अनन्ता परमाणु मिले तो अनन्ता परमाणुका खन्द बने। यह अजीव खन्द जीवको ग्रहण करनेके योग्य नहीं है क्योंकि, अभव्यसे अनन्त गुणा परमाणु इकट्ठा होय तब बैंक्रिय वर्गणा लेनेके योग्य होय, और वैक्रिय बर्गणामें जितने परमाणु हैं उस वर्गणासे अनन्त गुणे परमाणु इकट्ठ होय तब अहारकवर्गणा होय, इसरीतिसे एक २ बर्गणासे अनन्त २ गुणे परमाणु ज्यादा होय तब आगेकी बर्गना होय, इसरीतिसे सांतवीं मनोबर्गणामें जितने परमाणु ज्यादा २ मिलते हुए मनोबर्गणामें इकट्ठ हुए हैं उस मनोवर्गणासे भी अनन्तगुणे परमाणु मिले तब कारमण वर्गणा होय। इस रीतिसे बर्गनाका विचार कहा। . .. Scanned by CamScanner

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