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द्रव्यानुभव - रत्नाकर । ]
उ'गली अक्षर, चुटकी मात, लक्ष्मण करे राम संवात ॥ १ ॥
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अब इसका अर्थ समझाते हैं कि अहिफन कहनेसे अ, इ, उ, ऋ, ये अक्षर आते हैं और सांप कैसा आकार हाथसे किया जाता है। और कमल कहने से कवर्ग अक्षर आते हैं । और चक्र कहनेले वर्ग अक्षर आते हैं । और टंकार कहनेसे टवर्गके अक्षर आते हैं । और तरु कहने से तवर्गके अक्षर आते हैं । और पल्लव कहने से पवर्गके अक्षर आते हैं । और यौवन कहने से य, र, ल, व. ये अक्षर आते हैं । शृङ्गारके कहनेसे श, ष, स, ह, क्ष, इत्यादि अक्षर आते हैं। सो इनके जुदे २ इशारे हाथसे किये जाते हैं। उस इशारेसे तो वर्ग मालूम हो जाता है। और उंगलियोंके उठानेसे अक्षर मालूम हो जाता है, सो उगलियोंका उठाना इस रीति से है कि- जिस बर्गका पहला अक्षर कहना होय तो एक उंगली उठावे, दूसरा कहना होयतो दो उंगली उठावे, तीसरा कहना होय तो तीन उंगली उठावे, इस रीतिसे उंगली उठानेसे अक्षर मालूम हो जाता है। फिर चुटकी बजानेसे मात्राका इशारा मालूम होता है सो ही दिखाते है कि एक चुटकी बजानेसे तो ह्रस्व, अक्षरकी मात्रा होती है, दो बजानेसे दीर्घ आकारकी मात्रा होती है, तीन बजानेसे हुस्व इकारकी मात्रा होती है, चारबजाने से दीर्घ ईकारकी मात्रा होती है, पांच बजानेसे हुस्व उकारकी मात्रा होती है, इसीरीतिसे जितनी चुटकी बजावे उसी स्वरकी मात्रा समझ लेना । इसरीतिसे तो ( सन्मुख ) बार्ता लाभ होती है। और उस बार्त्ताको जो सांकेत समझने वाला है वहो समझ सक्ता है, नतु हरेक मनुष्य समझेगा ।
अब इसीकी दूरखबर देनी होय तो ध्वनि अर्थात नमारेकी आवाज़ या बन्दूक, तोप आदिकके शब्दले इस सांकेत का समझनेवाला उस ध्वनि रूप शब्दले समझ सक्ता है, सो उसका भी सांकेत दिखाते हैं - कि तीन वhit ध्वनिले एक अक्षर बनता है, सो पेश्तर तो अक्षरांके आठ वर्ग होते हैं, सो जिस वर्गको कहना होय उतनेही ध्वनिरूप शब्द करे, फिर दूसरी दफे जौनसा अक्षर कहना होय उतनी ही बार ध्वनि करे,
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