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श्री शांतिनाथ पंचकल्याणक पूजा
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साजा । पूछिया? कारण परिवारा कहा पूव भव विस्तारा | पारापत और वाज दो, सुन पूरव भन आप । नमन करत आतम धन्य मानत करता मनमें ताप । करी अनशन सुरपर धारी | जगतमें जिनवर० ॥ १ ॥ ॥ दोहा ॥
वाज कबूतर जीवका, याद करी वृत्तात । प्रशम बीज वैराग्यको, पायो अवनीकात ॥ १ ॥ अष्टम तप उपसर्गको, सहन परीपद हेतु । धीर वीर सम मेरुके, कायोत्सर्ग समेत ||२||
१ जब देवता - " पूर्व भव के वर से युद्ध मे तत्पर इन दोनो पक्षियों को देस इनके शरीर मे अधिष्ठाता होकर परीक्षा लेने के निमित्त हे सत्पुरुष । मने जो कुछ आपको काट दिया मेरे उस अपराध को क्षमा कर" इत्यादि कहता हुआ राजा को राजी करके स्तुति करता हुआ चला गया, तब चकित होकर सामतादि परिवार ने राजा मेघरथ को पृछा - हे स्वामिन् । ये बाज और कनूतर पूर्व जन्म में कौक थे ? इनका पारस्परिक धेर क्सि निमित्त
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से
हुआ ? और यह देवता पूर्व भव से कौन था ? इसने बिना ही किसी अपराध के इतनी माया फैलाकर आपको प्राणति कष्ट मे क्यों ढाला ? इसके जबाव मे राजाने पूर्व वृतांत सुनाया ।