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दूसरे दिन दर्शनावरणीय कर्म निवारण पूजा पंढावे ॥दर्शनावरणीय कर्भ निवारण पूजा॥
[प्रारम्भ मे मगल पीठिका के दोहे पहले दिन का पूजा (ज्ञानावरणीय कर्म निवारण पूजा ) से देखकर वोलें। प्रति पूजा में काव्य भी पहली पूजा के समान घोलने होंगे। मन्त्रों में कर्म नाम बदलना होगा।
मंगल पीठिका दोहा
पूर्वन
॥ प्रथम जल पूजा ॥
॥दोहा॥ वस्तु तच सामान्य का, जहाँ होता है वोध । दर्शन कहते हैं उसे, करे आत्म गुण शोध ॥१॥ प्रभु दर्शन निर्मल जले, निज मन मैल मिटाय। प्रभुपद जल पूजा करो, दर्शन गुण प्रकटाय ॥२॥