Book Title: Bruhat Pooja Sangraha
Author(s): Vichakshanashreeji
Publisher: Gyanchand Lunavat

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Page 449
________________ सातवें दिन गोत्र कर्म निवारण पूजा पढ़ावे ॥ गोत्र कर्म निवारण पूजा ॥ [ प्रारम्भ मे मंगल पीठिका के दोहे पहले दिन की पूजा ( ज्ञानावरणीय कर्म निवारण पूजा ) से देखकर बोलें, और अन्त मे कलश आठवें दिन की पूजा (अन्तराय कर्म निवारण पूजा ) के अन्त में प्रकाशित कलश बोलें। प्रति पूजा मे काव्य भी पहले दिन की पूजा के समान बोलने होंगे। मंत्र में कर्म नाम बदल कर वोलें । ] मंगल पीठिका दोहा पूर्ववत् ॥ प्रथम जल पूजा ॥ ॥ दोहा ॥ रस जीवन अमृत कहै, जल को जल पूजा प्रभु की करो, करम कीच दे नीच भाव कटते रहें, जल धारा के जल पूजा जिनराज की, पावन भाव पण्डित लोक | रोक ॥१॥ योग । प्रयोग ||२||.

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