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छ8 दिन नाम कर्म निपारण पूजा पढावे ॥ नाम कर्भ निवारण पूजा॥ [प्रारम्भ मे मगल पीठिका के दोहे पहले दिन की पूजा (ज्ञानावरणीय कर्म निवारण पूजा ) से देखकर वोलें, और अन्त में कलश आठवें दिन की पूजा ( अन्तराय कर्म निवारण पूजा) के अन्त में प्रकाशित कलश वोलें। प्रति पूजा मे कान्य भी पहले दिन की पूजा के समान बोलने होंगे। मत्र मे कर्म नाम बदल कर वोलें।
मंगल पीठिका दोहा
पूर्ववत्
-- - || प्रथम जल पूजा ॥
॥ दोहा ॥ तीरथ जल से जो करे, तीर्थकर अभिषेक । करम मैल कट जाय हो, आतम गुण अतिरेक ॥३॥ जल पूजा मन मल हरे, होवे लोक ललाम । नाम काम अभिराम हो, परमातम परिणाम ॥२॥