________________
४१२
वृहत् पूजा-संग्रह अनादि भूल, लगा दुख भारी हो सांवरिया। दया करो हे गुणदरिया। दुख को मेटो सांवरिया ॥ टेर ॥ भर नैदेव को थाल धरूँ प्रभु आगे हो सांवरिया । त्याग भाव मय अनाहारता जागे हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ १॥ त्याग भावना त्यागी जीवन देता हो सांवरिया, वीतराग पद पूरण त्यागी होता हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥२॥ झूल गये रंग राग भूल गये छकड़ी हो सांवरिया । पुद्गल संगे पुद्गल परिणति पकड़ी हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ३ ॥ प्राणी अनुकम्माहित पुद्गल त्यागू हो सांवरिया। साधु सेवा लागू अमृत मांगू हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ४ ॥ सेवा मेवा देती सेवा करते हो सांवरिया। साता प्रकृति बंध उदय अनुसरते हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ५ ॥ साता प्रकृति पुण्य वन्ध से मिलते हो सांवरिया। दुर्लभ चारों अंग अंग में खिलते हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ६ ॥ मानवता पा श्रुतमें श्रद्धाधारी हो सांवरिया। संयम घर विचलं आतम अधिकारी हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ७ ॥ हरि कवीन्द्र जन अगम अगोचर होता हो सांवरिया। परमातम पद पा करम मल खोता हो सांवरिया ॥ दया० पेट० ॥ ८॥