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श्री महावीर स्वामी पूजा
॥ षष्ठम तीर्थकर पदाराधन पूजा ॥ ॥ दोहा ॥ तीर्थंकर पद साधना, तीर्थङ्कर पद देत । तीर्थङ्कर पूजा करो, सहज सिद्धि सकेत ||
(तर्ज- प्रभु धर्म नाथ मोद्दे प्यारा जगजीवन० ) भवि । पूजो परमाधारा, तीरथ पद तारणहारा । पाओ भन सिन्धु किनारा, तीरथपद तारण हारा || ढेर || सरिवा जल जैसे पहता, देवायु थिर नहीं रहता । व्यव पचवीसम भन सारा, पाये नर जन्म उदारा ॥ भ० ॥ १ ॥ छत्राया नगरी भारी जीतशत्रु नृपति अधिकारी । भद्रा कुखे अवतारा, श्रीनन्दन नाम कुमारा ॥ भ० ॥ २ ॥ वल तेज रूप गुणवाना, राज्यादिक सुस अधिकाना । पोट्टिल सूरि गणधारा, वन्दे आनन्द अपारा ॥ भ० || ३ || गुरु नोध सुधारम पीना, हिरात भाव विहीना | अंतर आतम अधिकारा, लें धन सयम मुखकारा ॥ भ० ॥ ४ ॥ अरिहन्तादिक उपयोगे, सुविहित साधन विधियोगे । चीन स्थानक मुखकारा, आराधे भाव अपारा ॥ भ० ॥५॥ कर्मों से जग जमाया, जिन नाम कर्म शुभ पाया । लाख वर्ष निरन्तर धारा, तप मास खमण नलिहारा ॥ भ० ||६||
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