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वृहत् पूजा-संग्रह
हाहाकार करते, दुःख दिल अपने में धरते। मायावी कोई देव है, पक्षी न इतनो भार । विन कारण क्यों नाश करत हो, अपने आप विचार । प्रगट हुओ देव चमत्कारी | जगतमें जिनवर जयकारी ॥ ६ ॥
देवता -
( तर्ज - इस कलयुग में लाखों गुरु हैं हुये ) इस दुनियां में लाखों करोड़ों हुये शाह तुमसा तो कोई मगर न हुआ । खुदको रहमकी खातिर किया कुवां, तुमसा और किसीका जिगर न हुआ || इस०||अं० ॥ तेरी इन्द्रने जो सिफ्त की स्वर्ग में, सुनकर मुझसे न बिलकुल सही वो गइ | आया तेरा मैं लेने यहां इमतिहां, मुसा और कोई वेकदर न हुआ | इस० || १ || लाया जोर था जितना मेरे में सभी कार आमद न हुआ जरा
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भी यहां । तुमने धार लिया करना परका भला, इसलिये तुम कुछ भी असर न हुआ | इस० ॥ २ ॥ ॥ दोहा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य हैं, धन्य मात अरु तात । धन्य जन्म तुम सफल है, धन्य धन्य दिनरात ॥१॥
(तर्ज - लावणी - जगत में जिनवर जयकारी ) स्तुति करता नमता राजा, गया कर देव स्वर्ग
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