________________
[१५] theory makes an integral part of the Vaisesika, and it is acknowledged by the Nyaya, two Brahmanical philosophies, which have originated by secular scholars ( Pandits), rather than by divine or religious men. Among the hetrodox, it has been adopted by the Jains, and...also by the Ajivikas......... We place the Jains first because they seem to have worked out their system from the most primitive notions about matter. -( ERE. Vol. II. PP. 199-200).
भावार्थ-'ब्राह्मणोंके प्राचीनसे प्राचीन सैद्धांतिक ग्रंथोंमें, जैसे कि वे उपनिषदोंमें बताये गये हैं, कोई भी उल्लेख अणुसिद्धान्तका नहीं है । और इसीलिये वेदान्तसूत्र में इसका खण्डन किया गया है, जो उपनिषद शिक्षाओंको व्यवस्थित रंतिसे बतलाने का दावा करता है । वेदोंके समान मान्य सांख्य और योगदर्शनोंमें भी इस सिद्धान्तका कोई उल्लेख नहीं है किन्तु वैशेषिक और न्याय दर्शनोंमें यह स्वीकार किया गया है पर यह दोनों दर्शन अर्वाचीन पंडितोंकी रचनायें हैं-न कि किसी दैवी या धार्मिक पुरुष की । वेद विरोधी मतोमें जैन और आजीविकों को यह सिद्धान्त मान्य था ।.... जैनोंको ही हम पहले मुख्य स्थान देते हैं; क्योंकि उन्होंने अपने सिद्धान्तको पुद्गल सम्बन्धी अतीव प्र.चीन (most primitive) मतोंके अनुपार निर्दिष्ट किया है । ' इसतरह अणुसिद्धान्त भी जैनियोंके धर्मको अत्यन्त प्राचीन सिद्ध करता है । इस अवस्थामें उसका प्रारम्भ भगवान नेमिनाथ या पार्श्वनाथ अथवा महावीरसे हुआ बतलाना कोरी शेखचिल्लीकी कहानी होगी। उसका प्रारंभ जैसे कि जैनियोंकी मान्यता है, एक बहुत प्राचीनकालमें भगवान ऋषभदेव द्वारा ही हुआ था । इसी कारण प्रसिद्ध संस्कृतज्ञ विद्वान्