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भगवान पार्श्वनाथ |
कि इन संजयकी शिक्षाकी सादृश्यता यूनानी तत्ववेत्ता पैर होकी शिक्षाओंसे बतलाई गई है । एक तरहसे दोनोंमें समानता है और इस पैर होने जैम्नोफिट्स सूफियोंसे, जो ईसासे पूर्वकी चौथी - शताब्दिमें यूनानी लोगोंको भारतके उत्तर पश्चिमीय भाग में मिले थे, यह शिक्षा ग्रहण की थी ।" यह जैम्नोफिट्स तत्ववेत्ता निग्रंथ (दिगम्बर) साधुओंके अतिरिक्त और कोई नहीं थे । यूनानियोंने इन साधुओंका नाम 'जैम्नोसूफिट्स' रक्खा था । अतएव "जैन साधुओंसे शिक्षा पाये हुये यूनानी तत्ववेत्ता पैरहोकी शिक्षाओंसे उक्त संजयकी शिक्षाओं का सामञ्जस्य बैठ जाना, हमारी उक्त व्याख्याकी पुष्टिमें एक और स्पष्ट प्रमाण है । इस अवस्थामें भगवान् पार्श्वनाथजीकी तीर्थपरम्परा के संजय और मौद्गलायन नामक प्रख्यात् साधुओंका स्पष्ट परिचय प्रगट होजाता है । सचमुच भगवान पार्श्वनाथजी की शिष्यपरम्परामेंसे म० बुद्ध, मक्खलिगोशाल और मौद्गलायनका विलग होकर अपने नये मत स्थापित करना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भगवान पार्श्वनाथजीके. दिव्योपदेशका प्रभाव उस समय प्रबल रूपमें सर्वव्यापी होगया था और उसके कारण सैद्धान्तिक वातावरणमें हलचल खड़ी होगई थी ! इसप्रकार भगवान पार्श्वनाथजीकी शिष्यपरम्पराके प्रख्यात् शेष शिष्योंके चरित्रका भी सामान्य दिग्दर्शन हम यहां कर लेते हैं । इनके अतिरिक्त और भी किन्हीं मुनियोंका उल्लेख भगवानके तीर्थवर्ती महापुरुषों का परिचय कराते हुये अगाड़ी स्वयमेव हो
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१ - हिस्टारीकल ग्लीनि० पृ० ४५. २- पूर्व प्रमाण. ३ - इन्साइक्लोपे - डिया ब्रेटेनिका भाग ३५.