Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
२८
भगवतीसूत्रे
,
इत्यादि । हे गौतम! हन्त, सत्यम् ' जयाणं ' यदा खलु त्वदुक्तरीत्या 'जम्बूद्वीपे द्वीपे ' जाव - दुवालस मुहुचा ? यावत्-द्वादशमुहूर्ता' राईभवइ ' रात्रिर्भवति यावत्करणात् द्वीपे दक्षिणार्थे उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्तोदिवसो भवति, तदा उत्तरार्धेऽपि उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, यदा च उत्तरार्धे उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरपर्वतस्य पौरस्त्यपश्चिमे द्वादशमुहूर्तममाणा रात्रिर्भवति ।
है । इस तरह अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाणवाले दिवस में छत्तीस घटिकाएँ होती हैं और बारह मुहूर्त्त में चौतीस घटिकाएँ होती हैं। पूछने को अभिप्राय ऐसा है कि जब दक्षिणभाग में और उत्तरभाग में अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब क्या पूर्व पश्चिम में बारहमुहूर्त्त की रात्रि होती है ? इस प्रश्न का समाधान करते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं कि - ( हंता गोयमा ! जया णं) हे गौतम! जैसा तुमने पूछा है - वह वैसा ही है - जब जंबूद्वीप में दक्षिणार्ध और उत्तरार्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत की पूर्व पश्चिम दिशा में बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है । यहाँ जो (जाव दुवालस मुहुत्ता ) के साथ यावत् पद आया है उससे (द्वीपे दक्षिणा, उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, तदा उत्तरार्धेऽपि उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, यदा च उत्तरार्धे उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, तदा जंबूद्वीपे द्वीपे मन्दर पर्वतस्य पौरस्त्यपश्चिमे ) इस पूर्वोक्त पाठ का संग्रह किया गया है ।
એક મુહૂર્ત અને છે. આ રીતે ૧૮ અઢાર મુહૂત પ્રમાણવાળા દિવસમાં ૩૬ છત્રીસ ઘડીએ હાય છે, અને ૧૨ માર મુહૂતની ૨૪ ચાવીસ ઘડીએ થાય છે, (૧ ઘડી એટલે ૨૪ ચાવીસ મિનિટ એક મુર્હુત એટલે ૨૮ અઠયાવીસ મિનિટ સમજવી ) પ્રશ્નકાર એ જાણવા માગે છે કે ( જ્યારે દક્ષિણુ અને ઉત્તરભાગમાં ૧૮ અઢાર મુહૂર્તીના દિવસ હોય છે, ત્યારે શું પૂર્વી અને પશ્ચિમ ભાગમાં માર સુહૂતની રાત્રિ હાય છે ? )
महावीर अलुते प्रश्ननुं या प्रमाणे सभाधान रे छे - ( हांता गोयमा ! ) डा, गौतम! वुमने छे - ( जया ण जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ) न्यारे જ બૂઢીપના દક્ષિણા માં ૧૮ અઢાર મુહૂત ના દિવસ થાય છે, ત્યારે જ ખૂદ્વીપમાં મંદર પર્વતની પૂર્વ અને પશ્ચિમ દિશામાં ૧૨ ખાર મુહૂર્તની રાત્રિ થાય છે. गडी ( जाब दुवालसमुहुत्त ) साथै ? ( जाव ) यह आव्यु छे, तेना द्वारा नीना पूर्व उधित पाउने श्रणु उरवामां भाष्यो छे - ( द्वीपे दक्षिणाधे, उत्कृष्टो टाक्शमुहूर्तो दिवसो भवति, तदा उत्तरार्धे पि उत्कृष्टोऽष्टादश मुहूर्ता दिवसो भवति यदा व उत्तरार्ध उत्कृष्टोऽष्टादशमुहूर्तो भवति, तदा जंबूद्दीपे द्वीपे मन्दरपर्वतस्य पौरस्त्यपश्चिमे ) त्यादि पूर्वोऽत पाहनो संग्रह थयो छे.
"
श्री भगवती सूत्र : ४