Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतील
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दिवसोभवति किम् ? 'जयाणं ' यदा खलु ' पश्च्चत्थिमेणं दिवसे पश्चिमेऽपि दिबस : ' भवइ ' भवति ' तयाणं ' तदा खलु ' जंबुद्दीवे दीवे ' जम्बूद्वीपे द्वीपे मंदरस्स पव्वयस्स ' मन्दरस्य पर्वतस्य 'उत्तरदाहिणेणं' उत्तरदक्षिणे खलु राईभर ' रात्रिर्भवति किम् ? भगवानाह - 'हंता, गोयमा !' इत्यादि । हे गौतम ! इन्त, सत्यम् ' जयाणं ' यदा खलु त्वदुक्तरीत्या ' जंबुद्दीवे दीवे' जम्बूद्वीपे द्वीपे 'मंदरपुर स्थिमेणं ' मन्दरपौरस्त्ये मन्दरपर्वतस्य पूर्वभागे खल 'दिवसे' दिवस: ' जाव - राई ' यावत् - रात्रिः ' भवइ भवति यावत्करणात् ' भवति, तदा पश्चिमेऽपि दिवसो भवति यदा खलु पश्चिमे दिवसो भवति, तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरपर्वतस्य उत्तर-दक्षिणे' इति संग्राह्यम् ।
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अथ सूर्यस्य स्वमण्डलेषु गतिविशेषेण दिनरात्रिमाने वृद्धिहानी प्रतिपादयितुमाह-' जयाणं भंते!' इत्यादि । गौतमः पृच्छति - हे भदन्त । यदा खलु 'जंबुस्थिमेण वि ) पश्चिमदिग्भाग में भी (दिवसे भवइ) दिवस होता है । तो ( जयाणं ) जब ( पच्चत्थिमे णं दिवसेभवइ) पश्चिमदिग्भाग में दिवस होता है तब क्या (जंबुद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप में (मंदरपव्वयस्स उत्तरदाहि णं राई भवर) मंदर पर्वत के उत्तरार्ध दक्षिणार्ध में रात्रि होती हैं ? इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं कि ( हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ जाव राई भवइ ) हां गौतम ! जब जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्वदिग्भाग में दिवस होता है तब पश्चिमदिग्भाग में भी दिवस होता है और इस तरह से उत्तरदिग्भाग में और दक्षिणदिग्भाग में रात्रि होती है। सूर्य की अ पने मण्डलों में गति की विशेषता से ही दिन और रात्रि के प्रमाण में वृद्धि एवं हानि होती है इस बात को अब सूत्रकार प्रकट करते हैं
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ग्विलाभां पशु ( दिवसे भवइ ) दिवस होय छे ? ( जयाण ) भने न्यारे ( पच्चत्थिमेण दिवसे) पश्चिम द्विजिलागमा द्विवस होय छे, त्यारे शु “ जंबुद्दीवे दीवे "द्वीपना " मंदरपव्वयस्स उत्तरदाहिणे ण राई भवइ ? ” भंडर पर्वर्तना ઉત્તરા અને દક્ષિણામાં રાત્રિ હાય છે?
महावीर प्रभु तेना या प्रमाणे भवाय याये छे - " हता गोयमा! " હા गौतभ ! “जयाण' जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पुरत्थिमेण दिवसे भवइ, जाव राई भवइ) જ્યારે જ ખૂદ્વીપમાં પૂર્વ દિગ્વિભાગમાં દિવસ હોય છે ત્યારે પશ્ચિમ દિગ્વિભાગમાં પણ દિવસ હોયછે. અને ત્યારે ઉત્તરદ્વિભાગમાં અને દક્ષિણ દિભાગમાં રાત્રિહાયછે. સૂર્યની તેના મઢળામાં ગતિની વિશેષતાને લીધેજ દિવસ અને રાત્રિના प्रभाशुभां वध-घट थाय छे, मेवात अउट खाने सूत्रअरछे - ( जया
श्री भगवती सूत्र : ४