Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श० ५ ० १ सू० २ रात्रिदिवसस्वरूपनिरूपणम् २७ हीवे दीवे' जम्बूद्वीपे द्वीपे 'दाहिणड्ढे ' दक्षिणार्धे दक्षिणभागे 'उकोसए' उत्कृष्ट सर्वापेक्षया दीर्घः 'अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवई' अष्टादशमुहूर्तो दिवसो भवति. मुहूर्तघटिकाद्वयम्' इतिरीत्या पत्रिंशद्दण्डात्मकघटिकाप्रमाणः 'तयाणं' तदा खलु ' उत्तरड्ढे वि ' उत्तरार्धेऽपि उत्तरभागेऽपि ' उक्कोसए ' उत्कृष्टः · अट्टारस. मुहुत्ते दिवसे भवइ ' अष्टादशमुहूर्तो दिवसोभवति, सूर्यद्वय सद्भावेनैव पूर्ववद्बोध्यम् ‘जयाणं' यदा खलु — उत्तरडे ' उत्तरार्धे ' उक्कोसए' उत्कृष्टः ' अट्ठारसमुहुत्ते दिवसेभवइ ' अष्टादशमुहूतों दिवसो भवति ' तयाणं ' तदा खलु 'जंबुहीवे दीपे' जम्बूद्वीपे द्वीपे 'मंदरस्स पन्धयस्स पुरत्थिग-पञ्चत्थिमेणं ' मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्य-पश्चिमे खलु पूर्वपश्चिमभागे ‘जहणिया दुवालसमुहुत्ता राईभवई' जघन्यिका द्वादशमुहूर्ता रात्रिभवति किम् ? भगवानाह-' हंता, गोयमा !'
(जया णं भंते !) इत्यादि । गौतम प्रभु से पूछते हैं कि हे भदन्त !जया गं) जब (जंबुद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप नामके द्वीप में (दाहिणडूढे) दक्षिणार्थ में दक्षिणदिग्भाग में ( उकोसए ) अधिक से अधिक प्रमाणवाला सबकी अपेक्षा बडा- ( अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) अठारह मु. हूर्त का दिन होता है, (तया णं उत्तरढे वि ) तब उत्तरार्ध में भी उत्तर दिग्भाग में भी ( उक्कोसए ) उत्कृष्ट सब की अपेक्षा बडा (अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) अट्ठारह मुहूर्त का दिवस होता है-इस तरह दो सूर्थी के सद्भाव से जब सब से बड़ा दिन दक्षिणार्ध और उ. सरार्ध में होता है-तब क्या (जंबूद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप में (मंदरस्स पन्चयस्स पुरथिम-पच्चत्थिमेणं) मंदरपर्वतके पूर्व पश्चिम दिशा में-पूर्व पश्चिम भाग में (जहणिया) सर्व से कम प्रमाण वाली (दुवालसमुहुत्ता) बारहमुहूर्त की (राई भवइ) रात्रि होती है ? मुहूर्त दो घड़ी का होता ण भंते) त्याहि गौतमना प्रश्न-( जया ण भते ! ) 3 महन्त ! न्यारे (जबुहीवे दीवे) 'भूद्वीपनामना दीपना (दाहिणड्ढे ) दक्षिणा भi ( उस्कोसए) १धारेभा पधारे प्रभावाना (अद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) Aढा२ भुतना हिस थाय छ, (तया ण उत्तरटे वि.) त्यारे उत्तराभा ५( उक्कोसए अटारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) वारेमा धारे समा १८ भुतन हिवस थाय છે, (આ રીતે બે સૂર્યના સહભાવથી બન્નેમાં દક્ષિણાર્ધ અને ઉત્તરાર્ધમાં– न्यारे सौथी मोटी हिवस थाय छ ) त्यारे शु (जबुद्दीवे दीवे ) द्वीपमा (मंदररस पव्वयस्स पुरथिम-पच्चत्थिमेण) म४२ पतनी पूर्व भने पश्चिम EिARi (जहणिया ) सौथी ७५ प्रमाgavil (६i )( दुवालसमहत्ता ) मा२ मुश्ती (राई भवह) रात्रि थाय छ १ मे टी २८॥ सभयन
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪