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सूत्रकृतांग सूत्र
निवास है इत्यादि ।" इस प्रकार अहिंसा धर्म का प्रधान अंग सिद्ध होने पर भी; परमार्थ को न जानने वाले कई अज्ञानी एवं अधर्मपक्षीय श्रमण-माहन हिंसा का समर्थन करते हैं । वे कहते हैं--"देव, यज्ञ आदि कार्यों में तथा धर्म के निमित्त प्राणियों का वध करना हिंसा या पाप नहीं है, अपितु वह धर्म है, अहिंसा है। श्राद्ध के समय रोहित मत्स्य का और देवयज्ञ में पशुओं का वध धर्म का अंग है। इसी तरह किसी खास समय में प्राणियों को दास-दासी बनाना, उन्हें डराना-धमकाना भी धर्म है।" ।
इस प्रकार के हिंसामय धर्म का समर्थन और उपदेश देने वाले तथाकथित अन्यतीर्थी प्रावादुक महामोह में फंसे हैं । वे अनन्तकाल तक संसार में परिभ्रमण करते रहेंगे। वे जन्म, जरा, मरण, रोग, शोक आदि दुःखों से कभी मुक्त नहीं होंगे, इसीलिए इन प्रावादुकों को प्रथम अधर्मस्थान में समाविष्ट किया गया है । विवेकी पुरुष को अहिंसा धर्म का आश्रय लेना चाहिए। समस्त सुविहित श्रमण एवं माहन अहिंसाधर्म के प्ररूपक हैं । वे प्राणियों को मारने, गुलाम बनाने, जबरन हुक्म में चलाने, डराने-धमकाने आदि के सख्त खिलाफ हैं। वे सभी प्रकार की हिंसाओं का सर्वथा निषेध करते हैं। वे अहिंसा का ही पालन और उपदेश देते हैं, वे किसी से वैर-विरोध, द्वेष, घृणा, मोह और कलह नहीं रखते, किन्तु सभी के प्रति मैत्री, क्षमा, दया, करुणा आदि का व्यवहार करते हैं। वे इस पवित्र अहिंसाधर्म के पालन के फलस्वरूप इस अनादि अनन्त संसार-चक्र में बार-बार पर्यटन नहीं करते, न किसी प्रकार का जन्म, जरा, मरणादि दुःख पाते हैं । वे समस्त दुःखों से मुक्त होकर केवलज्ञान, सिद्धि, मुक्ति आदि प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष यह है कि धर्म और अधर्म ये दो ही स्थान मुख्य हैं। इन दोनों ही स्थानों में सभी प्राणियों की वृत्ति-प्रवृत्तियों का समावेश हो जाता है। पूर्वोक्त ३६३ प्रावादुक अधर्मस्थान के अधिकारी होते हैं, जबकि सम्यग्दृष्टि साधक धर्मस्थान का; क्योंकि वह धर्म के सभी अंगों को वैचारिक एवं आचारिक दृष्टि से स्वीकार करता है।
मूल पाठ - इच्चेतेहिं बारसहि किरियाठाणेहि वट्टमाणा जीवा णो सिझिंसु णो बुझिसु णो मुच्चिसु णो परिणिव्वाइंसु जाव णो सव्वदुक्खाणं अंत करेंसु वा णो करेंति वा णो करिस्संति वा । एयंसि चेव तेरसमे करियाठाणे वट्टमाणा जीवा सिज्झिसु बुझिसु मुच्चिसु परिणिव्वाइंसु जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा । एवं से भिक्खू आयट्ठी आयहिते आयगुत्ते आय
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